आजकल कई लोग ऐसे हैं जो खुद का फायदा पहले सोचते हैं और परिवार के लिए बाद में। इसी सोच के कारण परिवार में मनमुटाव बढ़ता है।
अगर कोई अपने फायदे से पहले परिवार के बारे में सोचे तो ऐसे इंसान के लिए घर के सभी लोगों का नजरिया बदल जाता है और आपस में प्रेम बढ़ता है।
महाभारत और रामायण के कुछ किस्से ऐसे हैं, जिनसे सीखा जा सकता है कि कैसे परिवार में एकता और प्यार बना रहे।
महाभारत के दौरान जब द्रोणाचार्य चक्रव्यूह की रचना करते हैं, तब अभिमन्यु बिना कुछ सोचे उस चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए अंदर चले गये।
अभिमन्यु जानते थे कि यदि चक्रव्यूह नहीं तोड़ा गया तो पांडवों की हार निश्चित है। ऐसी स्थिति में अभिमन्यु ने जान की परवाह न करते हुए, परिवार के हित के लिए बलिदान दिया।
इसी तरह रामायण में लक्ष्मण को राम का सेवा प्रिय बताया गया है। वो सोते-जागते हर पल राम की सेवा में लीन रहते थे।
ठीक इसी तरह उनका ही छोटा भाई शत्रुघ्न भरत की परछाई थे। शत्रुघ्न का पूरा जीवन भरत की सेवा में गुजरा।
श्रीराम परिवार के मुखिया का सबसे अच्छा उदाहरण हैं। राजा दशरथ की मृत्यु के बाद श्रीराम ही सबसे बड़े पुत्र होने के नाते परिवार के मुखिया बने।
वनवास के दौरान श्रीराम ने भरत को धर्म के अनुसार राज्य चलाने की सीख दी और शत्रुघ्न को भी बड़े भाई भरत की आज्ञा मानने के लिए कहा।
वनवास से लौटने के बाद श्रीराम ने अपने सभी भाइयों को अलग-अलग राज्य स्थापित करवाये ताकि आगे चलकर किसी के मन में राज्य को लेकर कोई बुरी भावना न आये।
इसके बाद लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न ने भी श्रीराम को ही अपना आदर्श मानकर अपने-अपने राज्यों में रामराज्य की स्थापना की।