महामृत्युंजय मंत्र का जप करते समय इस बात का ध्यान रखें की मंत्र का उच्चारण शुद्धता से करें।
माला को गौमुखी में रखें। जब तक जप की संख्या पूर्ण न हो, माला को गौमुखी से बाहर न निकालें।
मंत्र का उच्चारण करते समय स्वर होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। धीमे स्वर में आऱाम से मंत्र जाप करें।
मंहमृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करें। प्रतिदिन कम से कम एक माला जाप पूरा करके ही उठें।
जाप से पहले भगवान के समक्ष धूप दीप जलाएं। जाप के दौरान दीपक जलता रहे।
शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र के सामने ही इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र जाप हमेशा कुशा के आसन पर किया जाता है। इसलिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कुशा के आसन पर करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय एवं सभी पूजा-पाठ करते समय अपना मुख पूर्व दिशा की ओर ही रखें।
अगर आप शिवलिंग के पास बैठकर जाप कर रहे हैं तो जल या दूध से अभिषेक करते रहें।
जाप के समय उबासी न लें और न ही आलस्य करें। अपना पूरा ध्यान भगवान के चरणों में लगाएं।