हिन्दू धर्म में एकादशी की तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना करने और व्रत रखने से श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को अमालकी एकादशी और रंगभरी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी को बाकी एकादशी से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन पुष्य नक्षत्र बन रहा है जिस चलते यह व्रत और ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
19 मार्च रात 12 बजकर 22 मिनट से रंगभरी एकादशी शुरू होगी और इसका समापन 20 मार्च को रात 2 बजकर 23 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार यह व्रत 20 मार्च को रखा जाएगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती काशी गए थे और उन्होंने इस एकादशी को पूरे उत्साह के साथ मनाया था।
इसी दिन मां पार्वती का गौना हुआ था। यह पावन पर्व केवल काशी ही नहीं बल्कि मथुरा-वृंदावन में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
भगवान शिव और माता पार्वती को रंगभरी एकादशी के दिन गुलाल अर्पित करने से वैवाहिक जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।