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Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी 2024 की तिथि, पूजा विधि से तमाम विशेष जानकारी जानिए

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Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी, जिसे भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में की जाती है।

Bharti Sharma
By Bharti Sharma - Sub Editor Religion Dharma
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Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी, जिसे भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में की जाती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था, जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर में आती है।

गणपति स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी के दिन गणपति स्थापना और पूजा के लिए मध्याह्नकाल को सर्वाधिक शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश का जन्म भी इसी समय हुआ था। हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार, दिन के सूर्योदय से सूर्यास्त तक के समय को पाँच भागों में विभाजित किया जाता है—प्रातःकाल, संगव, मध्याह्न, अपराह्न, और सायंकाल। इनमें से मध्याह्नकाल को गणपति पूजा के लिए सबसे उत्तम समय माना गया है।

“सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥

गणेश चतुर्थी 2024 के विशिष्ट समय

गणेश चतुर्थी तिथि: शनिवार, 7 सितंबर, 2024मध्याह्न
गणेश पूजा मुहूर्त: 11:03 पूर्वाह्न से 01:34 अपराह्न तक (अवधि: 2 घंटे 31 मिनट)
गणेश विसर्जन तिथि: मंगलवार, 17 सितंबर, 2024

चंद्र दर्शन से बचने का समय 6 सितंबर, 2024: 03:01 अपराह्न से 08:16 अपराह्न तक (अवधि: 5 घंटे 15 मिनट)
7 सितंबर, 2024, 09:30 पूर्वाह्न से 08:45 अपराह्न तक (अवधि: 11 घंटे 15 मिनट)

चतुर्थी तिथि का प्रारंभ और समापन

चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 6 सितंबर, 2024 को दोपहर 03:01 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 7 सितंबर, 2024 को शाम 05:37 बजे

गणेश चतुर्थी का यह पावन पर्व हर साल लाखों भक्तों द्वारा मनाया जाता है, जो भगवान गणेश से जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं।

मध्याह्नकाल में गणपति पूजा की विधि

मध्याह्नकाल के दौरान, भक्तगण षोडशोपचार विधि से गणपति की पूजा करते हैं। इस विधि में भगवान गणेश की मूर्ति को स्नान, वस्त्र, गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि से अलंकृत कर पूजा की जाती है। इस विस्तृत अनुष्ठानिक पूजा को करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन: वर्जन और मिथ्या दोष का श्रापगणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन को वर्जित माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से मिथ्या दोष उत्पन्न होता है, जिससे व्यक्ति पर चोरी का झूठा आरोप लग सकता है।

पौराणिक कथा: भगवान कृष्ण और स्यमंतक मणि का प्रसंग पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यमंतक मणि चुराने का झूठा आरोप लगा था। नारद मुनि ने बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन कर लिया था, जिसके कारण उन्हें यह श्राप मिला। नारद मुनि ने उन्हें सलाह दी कि गणेश चतुर्थी का व्रत रखने से वे इस श्राप से मुक्त हो सकते हैं।मिथ्या दोष निवारण का मंत्रयदि किसी ने गलती से गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन कर लिया है, तो वह निम्न मंत्र का जाप करके मिथ्या दोष से मुक्ति पा सकता है।

गणेशोत्सव का महत्त्व और समापन

गणेश चतुर्थी के इस अद्वितीय पर्व की शुरुआत गणपति स्थापना से होती है और यह उत्सव दस दिनों तक चलता है। यह पर्व अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है, जिसे गणेश विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है। अनंत चतुर्दशी पर, भक्तगण एक विशाल जुलूस निकालकर भगवान गणेश की मूर्ति का जल निकाय में विसर्जन करते हैं, जिससे यह पर्व अपने समापन की ओर बढ़ता है।

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Bharti Sharma
Sub Editor
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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।
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