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सावन का पहला सोमवार: शिवभक्ति में डूबे भक्त, जयपुर, वाराणसी और महाकाल मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब- Sawan Somwar 2025

सावन 2025 का पहला सोमवार: जयपुर, उज्जैन के महाकाल और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में शिव भक्तों की भारी भीड़। पढ़ें भक्ति, कांवड़ यात्रा और पूजा की ताजा अपडेट।

Written by: Rajasthan Desk - News
5 Min Read

Sawan Somwar 2025: हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है, और आज सावन का पहला सोमवार होने के कारण देशभर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। राजस्थान के जयपुर, मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर और उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर सहित देश के प्रमुख शिव मंदिरों में सुबह से ही ‘हर हर महादेव’ के जयकारों की गूंज सुनाई दी। भक्तों ने शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा अर्पित कर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की।

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जयपुर: शिवालयों में भक्ति का उत्साह

जयपुर के प्रसिद्ध शिव मंदिरों, जैसे गलता जी, ताड़केश्वर महादेव और मोती डूंगरी मंदिर, में सुबह तड़के से ही भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। मंदिरों को फूलों, रंग-बिरंगी झालरों और रोशनी से सजाया गया था। भक्तों ने गंगाजल और दूध से शिवलिंग का अभिषेक किया, साथ ही रुद्राभिषेक और विशेष आरती में हिस्सा लिया। स्थानीय निवासी रमेश शर्मा ने बताया, “सावन का पहला सोमवार भगवान शिव को प्रसन्न करने का विशेष अवसर है। हमने परिवार के साथ मिलकर पूजा की और सुख-समृद्धि की कामना की।” मंदिर प्रशासनों ने भक्तों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की थीं, जिसमें पेयजल, छायादार क्षेत्र और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम शामिल थे।

उज्जैन: महाकाल मंदिर में ‘बम-बम भोले’ की गूंज

उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में सावन के पहले सोमवार को भक्तों का सैलाब उमड़ा। सुबह की भस्म आरती में शामिल होने के लिए हजारों श्रद्धालु रात से ही मंदिर परिसर में मौजूद थे। मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया था, और भक्तों ने गंगाजल, बेलपत्र और पुष्पों से भगवान महाकाल का अभिषेक किया। मंदिर के पुजारी पंडित राकेश तिवारी ने बताया, “सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय समय है। आज का दिन विशेष रूप से फलदायी है, क्योंकि भक्त सच्चे मन से पूजा करते हैं।” कांवड़ियों की भी भारी भीड़ देखी गई, जो पवित्र नर्मदा नदी से जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए पहुंचे थे।

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वाराणसी: काशी विश्वनाथ में भक्ति का समंदर

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के पहले सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’ और ‘बम बम भोले’ के नारों से गूंज उठा। सुबह चार बजे से ही मंदिर के पट खुल गए थे, और भक्तों ने गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया। मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष लाइन व्यवस्था और सुरक्षा के इंतजाम किए थे। एक भक्त, अनीता देवी, ने कहा, “काशी विश्वनाथ के दर्शन और सावन के पहले सोमवार की पूजा से मन को असीम शांति मिलती है।” कांवड़ यात्रा के दौरान गंगा घाटों पर भी भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था, जहां वे पवित्र जल लेकर मंदिर की ओर बढ़ रहे थे।

देशभर में कांवड़ यात्रा का जोश

सावन के पहले सोमवार के साथ ही कांवड़ यात्रा भी पूरे जोश के साथ शुरू हो चुकी है। हरिद्वार, गंगोत्री और सुल्तानगंज जैसे पवित्र स्थानों से लाखों कांवड़िए गंगाजल लेकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं। सड़कों पर केसरिया वस्त्रों में कांवड़ियों की टोलियां और ‘बोल बम’ के नारे वातावरण को भक्तिमय बना रहे हैं। प्रशासन ने कांवड़ियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं, जिसमें अस्थायी शिविर, चिकित्सा सुविधाएं और ट्रैफिक व्यवस्था शामिल हैं।

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धार्मिक महत्व और मान्यताएं

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, और इस दौरान की गई पूजा-अर्चना कई गुना फलदायी होती है। खासकर सोमवार के दिन व्रत रखने और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और शहद अर्पित करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश शास्त्री के अनुसार, “सावन के पहले सोमवार को कई शुभ योग बन रहे हैं, जैसे प्रीति योग और शिव योग, जो पूजा के फल को और बढ़ाते हैं।” कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

बाजारों में भी सावन की रौनक

सावन के आगमन के साथ ही बाजारों में भी उत्साह का माहौल है। जयपुर, वाराणसी और उज्जैन के बाजारों में गेरुआ वस्त्र, रुद्राक्ष मालाएं, बेलपत्र, त्रिशूल और पूजा सामग्री की दुकानों पर भारी भीड़ देखी गई। महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां, मेहंदी और साड़ियां खरीदने में व्यस्त थीं, जो सावन के उत्सवों जैसे हरियाली तीज के लिए विशेष महत्व रखती हैं।

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