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Shaheed Diwas 2024: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को तय दिन से एक दिन पहले फांसी क्यों दी गई?

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Shaheed Diwas 2024: हमारा भारत वीर नायकों की भूमि है। हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन को अमर शहीदों के ​बलिदान के रूप में याद किया जाता है। क्योंकि, इस दिन ही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। इस दिन शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है और इसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

Rupali kumawat
By Rupali kumawat - Sub Editor Latest News
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Shaheed Diwas 2024: हमारा भारत वीर नायकों की भूमि है। हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन को अमर शहीदों के ​बलिदान के रूप में याद किया जाता है। क्योंकि, इस दिन ही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। इस दिन शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है और इसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

23 मार्च को शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है?

23 मार्च का दिन देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस है। यह दिवस न केवल देश के प्रति सम्मान और हिंदुस्तानी होने वा गौरव का अनुभव कराता है, बल्कि वीर सपूतों के बलिदान को भीगे मन से श्रद्धांजलि देता है। तो आज के आर्टिकल में हम बात करेंगे इन्हीं तीनों क्रांतिकारियों के बारे में।

प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं- भगतसिंह

भगतसिंह का जन्म 27 सितम्बर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा मे हुआ था, जो कि अभी पाकिस्तान में है।

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, मरने वालों का यही बाकी निशां होगा- राजगुरु

जयी राजगुरु का जन्म 29 अक्टूबर, 1739 को उड़ीसा में पुरी के निकट गांव में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज खुर्द के राजा के सलाहकार एवं आध्यात्मिक गुरु थे तथा वे परम्परागत रूप से “राजगुरु” कहलाते थे।

-दिल हमारे एक हैं एक ही है हमारी जान, हिंदुस्तान हमारा है हम हैं इसकी शान, जान लुटा देंगे वतन पे हो जायेंगे कुर्बान, इसलिए हम कहते हैं मेरा भारत- सुखदेव

सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था। इनका जज्बा बचपन से ही आजादी के प्रति दीवानगी से भरा हुआ था।

क्यों हुई थी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा?

1928 में साइमन कमीशन विरोधी रैली में, अनुभवी कांग्रेस नेता लाला लाजपत राय को ब्रिटिश पुलिस अधिकारी ने लाठी से बेरहमी से पीटा था। कुछ दिनों बाद लगी चोटों के कारण लाजपत राय की मृत्यु हो गई। जिसका बदला भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने ब्रिटिश शासन से लिया। जिससे उनके खिलाफ साजिश रचने के आरोप में मुकदमा चलाया गया था और अंत मे उन तीनों को 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई थी।

भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को एक दिन पहले फांसी क्यों दी गई?

पहले ये फांसी की तारीख 24 मार्च तय की गई थी परन्तु ये तीनों बहुत बड़े क्रांतिकारी थे। इनको फांसी की सजा सुनाने के बाद जनता की सहानुभूति उनके साथ हो गई और इस सजा के विरोध की लहर चल पड़ी, इससे अंग्रेजी हुकूमत डर गई। तीनों को समय से पहले 23 मार्च 1931 को ही शाम को फांसी दे दी गई। वे तो अपनी आजादी के प्रति दीवानगी दिखाकर चले गए, परंतु वे लोग आज भी हमारे दिलों में जिंदा है और युवा वर्ग उन्हें अपना आदर्श मानता है।

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Rupali kumawat
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रुपाली कुमावत पिछले कई वर्षों से लेखन क्षेत्र में कार्यरत हैं। उनको हिंदी कविताएं, कहानियां लिखने के अलावा ब्रेकिंग, लेटेस्ट व ट्रेंडिंग न्यूज स्टोरी कवर करने में रुचि हैं। उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से BADM में M.Com किया हैं एवं पंडित दीनदयाल शेखावाटी यूनिवर्सिटी से family law में LL.M किया हैं। रुपाली कुमावत के लेख Focus her life, (राजस्थान पत्रिका), सीकर पत्रिका, https://foucs24news.com, खबर लाइव पटना जैसे मीडिया संस्थानों में छप चुके हैं। फिलहाल रुपाली कुमावत 89.6 एफएम सीकर में बतौर न्यूज कंटेंट राइटर अपनी सेवाएं दे रही हैं।
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