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Vijaya Ekadashi 2024 Date: विजया एकादशी कब मनाई जाएगी? जानें पूजा विधि, तिथि और व्रत का महत्‍व

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Vijaya Ekadashi 2024 Date Time: हिंदू धर्म में वैसे तो सभी तिथियां महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, लेकिन एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना गया है। प्रत्येक माह में दो एकादशी तिथि आती है, एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस तरह से पूरे वर्ष में 24 एकादशी मनाई जाती है। फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष तिथि को पड़ने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। Vijaya Ekadashi Kab hai

Bharti Sharma
Written by: Bharti Sharma - Sub Editor

Vijaya Ekadashi 2024 Date Time: हिंदू धर्म में वैसे तो सभी तिथियां महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, लेकिन एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना गया है। प्रत्येक माह में दो एकादशी तिथि आती है, एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस तरह से पूरे वर्ष में 24 एकादशी मनाई जाती है। फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष तिथि को पड़ने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है।

प्रत्येक एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। चलिए जानते हैं कि इस बार विजया एकादशी का व्रत 2024 में कब रखा जाएगा और उसका महत्व क्या है।

2024 में विजया एकादशी कब है (Vijaya Ekadashi Kab hai)

पंडित विनोद जोशी बताते हैं कि महीने और तिथि के आधार पर प्रत्येक एकादशी का अलग महत्व होता है। इस वर्ष विजया एकादशी तिथि का प्रारंभ 6 मार्च को सुबह 6:31 पर होगा और अगले दिन 7 मार्च को सुबह 4:14 पर एकादशी तिथि समाप्त होगी। सूर्योदय से ही एकादशी तिथि 6 मार्च को पूरे दिन रहने वाली है। ऐसे में फाल्गुन माह में विजया एकादशी 6 मार्च 2024 को मनाई जाएगी।

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विजया एकादशी का महत्व (Vijaya Ekadashi Importance)

विजया एकादशी को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को विजय की प्राप्ति होती है। लंका पर विजय प्राप्‍त करने के लिए बकदाल्भ्य मुनि की आज्ञा पर भगवान राम ने समुद्र के तट पर इसी एकादशी का व्रत किया था। इसके प्रभाव से रावण का वध हुआ और भगवान रामचंद्र की विजय हुई। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से, साथ ही व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।

विजया एकादशी व्रत की पूजा विधि (Vijaya Ekadashi Vrat Puja Vidhi)

विजया एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे स्नान आदि से निवृत होकर पूजा स्थल को अच्छे से स्वच्छ कर लें। फिर उस स्थान पर सप्त अनाज रखें। इसके बाद वहां पर चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश जो भी आपके पास हो उसे स्थापित करें। इन सब के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति को रखें। फिर धूप, दीप, चंदन, फल, फूल और तुलसी आदि से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें। व्रत रखने के साथ-साथ विजया एकादशी व्रत की कथा का पाठ भी करें। रात्रि के समय श्री हरि के नाम का जाप करें और इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।
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