हिंदू धर्म में वैसे तो सभी देवी-देवताओं की अलग-अलग तरीके से विधिपूर्वक पूजा होती है, लेकिन ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती है। आइये जानते हैं क्यों-
जिस वक्त ब्रह्मा जी अपने वाहन पर सवार होकर यज्ञ के लिए सही स्थान की तलाश कर रहे थे तो उसी समय उनके हाथ से कमल का फूल धरती पर गिर गया।
कमल के गिरने से सरोवर का निर्माण हुआ। जब ब्रह्मा जी ने ये देखा तो उन्होंने उसी जगह पर यज्ञ करने का निर्णय लिया। इस जगह को पुष्कर के नाम से आज जाना जाता है।
यज्ञ के लिए ब्रह्मा जी के साथ उनकी पत्नी का होना आवश्यक था लेकिन उनकी पत्नी सावित्री वहां नहीं थीं और शुभ मुहूर्त निकला जा रहा था।
जब काफी देर तक सावित्री नहीं पहुंची तब ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया, उनसे विवाह किया और यज्ञ किया।
जब थोड़ी देर बाद सावित्री वहां पहुंची तो ये सब देख कर कुपित हो गईं और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि इस पृथ्वी लोक पर कहीं उनकी पूजा नहीं होगी।
सभी देवताओं ने माता सावित्री से श्राप वापस लेने की प्राथना की। क्रोध शांत होने पर देवी ने कहा कि पुष्कर के अलावा कहीं भी ब्रह्मा जी पूजा नहीं होगी और न ही मंदिर बनेगा।
पुष्कर के अलावा अगर कहीं और उनकी पूजा होगी या मंदिर बनाया जाएगा तो उस व्यक्ति का विनाश हो जाएगा। इसी श्राप की वजह से ब्रह्मा जी की पूजा नहीं होती है।