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Jaipur News: करवा चौथ पर चांद देखने से पहले उजड़ गया हंसता खेलता परिवार! दंपति ने जीवन लीला की समाप्त

Karwa Chauth, Jaipur News: यह करवा चौथ की कहानी दर्द, पीड़ा और वेदना से भरी है। क्षण भर के गुस्से और नाराजगी ने एक दंपति को काल के ग्रास तक पहुंचा दिया। पति के देर से आना पत्नी को ऐसा नागवार गुजरा कि पल भर में एक हंसता खेलता परिवार तबाह हो गया। यह दुखद घटना राजधानी जयपुर की है, जहां करवा चौथ पर रात में पति के लेट घर पहुंचने से आहत पत्नी ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। पत्नी की मृत्यु की खबर पति भी बर्दाश्त नहीं कर सका और उसने पत्नी की साड़ी से फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

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Written by: FM Sikar
3 Min Read

Karwa Chauth, Jaipur News: यह करवा चौथ की कहानी दर्द, पीड़ा और वेदना से भरी है। क्षण भर के गुस्से और नाराजगी ने एक दंपति को काल के ग्रास तक पहुंचा दिया। पति के देर से आना पत्नी को ऐसा नागवार गुजरा कि पल भर में एक हंसता खेलता परिवार तबाह हो गया। यह दुखद घटना राजधानी जयपुर की है, जहां करवा चौथ पर रात में पति के लेट घर पहुंचने से आहत पत्नी ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। पत्नी की मृत्यु की खबर पति भी बर्दाश्त नहीं कर सका और उसने पत्नी की साड़ी से फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

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जयपुर पुलिस ने बताया कि 35 साल की मोनिका ने 20 अक्टूबर को ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। उसका करवा चौथ पर अपने पति घनश्याम से झगड़ा हुआ था। वह करवा चौथ के दिन देर से घर लौटा था। इस बात पर दोनों में बहस हो गई। मोनिका के कदम से दुखी होकर घनश्याम ने भी अपनी जान ले ली। उसने अपनी पत्नी की साड़ी से फांसी लगा ली।

घनश्याम ने जान देने से पहले अपने बड़े भाई को मैसेज भी किया था। उसने लिखा, “भाई, मैं हार गया, माफ़ करना। गणपत जी और घनश्याम कंडेल से बात करो, वो तुम्हारी मदद करेंगे। अब तुम्हें मेरी आईडी पर काम करना है। मेरी पत्नी ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी।” पुलिस ने जांच में पाया कि घनश्याम एक नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी में काम करता था और करवा चौथ पर देर से आने की वजह से उनका झगड़ा हो गया था।

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ये घटनाएं सामाजिक और पारिवारिक दबावों की कठोर वास्तविकता को दर्शाती हैं। इन घटनाओं से मानसिक स्वास्थ्य और संघर्षों को सुलझाने के लिए जागरूकता बढ़ाने और हस्तक्षेप रणनीतियों की जरूरत है। ये मानवीय रिश्तों की बारीकियों और विवादों और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को संबोधित करने में सहानुभूति, समझ और समय पर हस्तक्षेप के महत्व की याद दिलाती हैं। ऐसी दुखद परिस्थितियों में जान गंवाना व्यक्तियों और परिवारों की भलाई की रक्षा के लिए सामाजिक और प्रणालीगत बदलावों की तत्काल आवश्यकता जरूरत है।

एक अपील

आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। पल भर के गुस्से में किसी की या अपनी जान ले लेना बिल्कुल भी उचित नहीं है। आप अपनी परेशानियां, दिक्कतें अपने परिवार, यार दोस्तों से शेयर कर सकते हैं, ताकि आपका मन हल्का हो सके। आप चाहे तो आत्महत्या की रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर 988 पर भी अपनी बात खुलकर शेयर कर सकते हैं। क्योंकि, यह मानव जीवन मिला है संघर्षों के लिए… लड़ेंगे और जीतेंगे…

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