Paper Leak Scandal: सब इंस्पेक्टर-2021 परीक्षा का पेपर लीक मामला एक बार फिर से चर्चा में है, विशेष रूप से अशोक गहलोत के व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी (PSO) राजकुमार यादव की गिरफ्तारी के बाद। राजकुमार पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे के दबाव में पेपर खरीदा और फिर इसे अन्य लोगों को बेचा। इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुई हैं और जांच एजेंसी मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है।
राजकुमार यादव की गिरफ्तारी और पूछताछ में खुलासे
राजकुमार यादव, जो पहले अशोक गहलोत की सुरक्षा के लिए तैनात थे, को 8 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में उन्होंने स्वीकार किया कि बेटे के आग्रह पर उन्होंने पेपर खरीदा था। राजकुमार ने अपने दोस्त कुंदन को बड़ी रकम देकर पेपर लिया और फिर इसे अपने दूध वाले को बेच दिया। दूध वाले ने अपने बेटे रविन्द्र सैनी के लिए यह पेपर खरीदा था, जो परीक्षा में सफल हुआ लेकिन शारीरिक परीक्षा में फेल हो गया। वहीं, राजकुमार का बेटा लिखित परीक्षा पास कर गया लेकिन फिजिकल टेस्ट में असफल रहा। इससे यह साफ होता है कि पेपर लीक का जाल काफी बड़ा है।
पेपर लीक में अन्य शामिल लोगों की भूमिका
इस मामले में अन्य लोगों की भूमिका भी सामने आई है। राजकुमार यादव ने सतेंद्र नामक व्यक्ति को भी पेपर बेच दिया था। सतेंद्र की गिरफ्तारी के बाद ही राजकुमार यादव के शामिल होने की जानकारी मिली। इसके अलावा, राजकुमार के बेटे ने भी स्वीकार किया कि उन्होंने पिता से पेपर मंगवाकर परीक्षा पास की। यह पूरा मामला अब जांच एजेंसियों के रडार पर है, और वे इस पेपर लीक के सभी पहलुओं की गहन जांच कर रही हैं।
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रविन्द्र सैनी के फरार होने का मामला
जब एसओजी ने राजकुमार यादव और रविन्द्र सैनी को पूछताछ के लिए बुलाया, तो रविन्द्र ने राजकुमार से फोन पर मार्गदर्शन मांगा। राजकुमार ने उसे फरार होने की सलाह दी, जिसके बाद से रविन्द्र गायब है। इस घटना ने मामले को और पेचीदा बना दिया है। जांच एजेंसी अब रविन्द्र की तलाश में जुटी है और इस पूरे पेपर लीक मामले की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पीएसओ की गिरफ्तारी
इस पेपर लीक कांड में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पीएसओ की गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। यह मामला अब राजनीतिक रंग भी ले चुका है, क्योंकि राजकुमार यादव गहलोत की सुरक्षा में तैनात थे। हालांकि, यह मामला पूरी तरह से जांच के अधीन है और एजेंसियां मामले की हर कड़ी को जोड़ने में लगी हुई हैं। प्रदेश में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद भी यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है।