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SI Paper Leak Case 2021: राजस्थान में सख्ती, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेनिंग पर लगाई रोक, जानें आगे का फैसला

SI Paper Leak Case 2021: राजस्थान के सब-इंस्पेक्टर भर्ती 2021 पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेनिंग पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के अंतिम फैसले तक कोई ट्रेनिंग नहीं होगी। यह निर्णय पेपर लीक और अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के चलते लिया गया है।

Naveen Parmuwal
Written by: Naveen Parmuwal - Senior Sub Editor
3 Min Read

SI Paper Leak Case 2021: राजस्थान के सब-इंस्पेक्टर भर्ती 2021 के पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने राजस्थान हाईकोर्ट के 8 सितंबर 2025 के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें चयनित उम्मीदवारों को ट्रेनिंग की इजाजत दी गई थी। कोर्ट ने साफ कहा कि हाईकोर्ट के अंतिम फैसले तक कोई ट्रेनिंग नहीं होगी। इसके साथ ही, कोर्ट ने हाईकोर्ट को तीन महीने के अंदर मामले का निपटारा करने के लिए कहा है।

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कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस समीर की एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था। एकलपीठ ने भर्ती प्रक्रिया में पेपर लीक और अनियमितताओं के गंभीर आरोपों की वजह से चयन प्रक्रिया को रोकने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को बिना किसी बदलाव के लागू रखने का निर्णय लिया। कोर्ट का मानना है कि जब तक हाईकोर्ट इस मामले में अंतिम फैसला नहीं लेता, तब तक एकलपीठ का आदेश जारी रहेगा।

सरकार की अपील खारिज

राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट में दलील दी कि चयनित उम्मीदवारों को ट्रेनिंग की अनुमति दी जानी चाहिए, भले ही फील्ड पोस्टिंग न हो। यह तर्क हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश पर आधारित था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पेपर लीक और भर्ती प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठने के कारण सभी गतिविधियों पर रोक जरूरी है।

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याचिकाकर्ताओं की दलील

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव शकधर ने दलील दी, जबकि चयनित उम्मीदवारों की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने पैरवी की। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि पेपर लीक और अनियमितताओं के कारण पूरी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। इसलिए, चयनित उम्मीदवारों को ट्रेनिंग या नियुक्ति की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को मानते हुए हाईकोर्ट को तीन महीने में अंतिम फैसला देने का निर्देश दिया।

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नवीन पारमुवाल एक युवा डिजिटल पत्रकार और अनुभवी कंटेंट विशेषज्ञ हैं। राजस्थान के सीकर से ताल्लुक रखने वाले नवीन ने पिछले 6 सालों में डिजिटल मीडिया और न्यूज इंडस्ट्री में काम किया है। उन्होंने राजस्थान के नंबर वन अखबार राजस्थान पत्रिका से अपने करियर की शुरुआत की। जमीनी स्तर पर रिपोर्टिंग के जरिए उन्होंने लोकल मुद्दों, घटनाओं और समाज से जुड़ी खबरों को नजदीक से देखा और पाठकों तक पहुंचाया।बाद में पत्रिका.कॉम के साथ डिजिटल पत्रकारिता में कदम रखते हुए नवीन ने प्रदेश, राजनीति, व्यापार, तकनीक, मनोरंजन और अंतरराष्ट्रीय खबरों जैसे अहम मोर्चों को संभाला। उन्होंने ईटीवी भारत और वनइंडिया हिंदी जैसे न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर काम करते हुए न्यूज एडिटिंग, कंटेंट मैनेजमेंट और होमपेज ऑपरेशंस में अपनी गहरी पकड़ बनाई।तेज और सटीक रिपोर्टिंग के साथ-साथ SEO ऑप्टिमाइजशन और ऑडियंस एंगेजमेंट में उनकी दक्षता ने उन्हें डिजिटल मीडिया में अलग पहचान दिलाई।पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके योगदान को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें पंडित झाबरमल शर्मा पत्रकारिता पुरस्कार (डिजिटल) और गोल्डन अवॉर्ड- पत्रिका.कॉम प्रमुख हैं।
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