Karwa Chauth 2025: इस साल 10 अक्टूबर को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाएगा। इस खास दिन पर सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं। सूर्योदय से पहले सरगी खाकर दिनभर उपवास रहता है और चंद्रोदय के बाद छलनी से चांद और पति के दर्शन कर व्रत पूरा करती हैं।
पूजा और व्रत का तरीका
करवा चौथ का व्रत सुबह 6:18 बजे शुरू होकर रात 8:12 बजे चांद निकलने के बाद खत्म होगा। सूर्यास्त के बाद करवा माता की पूजा होती है जिसमें करवा माता की तस्वीर, छलनी, मिट्टी का करवा, दही, घी, शक्कर, नारियल, और मिठाई का उपयोग होता है। चांद के दर्शन के बिना करवा चौथ अधूरा होता है, इसलिए इसे पूरा करना जरूरी होता है।
करवा चौथ की कहानी
इस त्योहार की कहानी एक साहूकार की बेटी और उसके सात भाईयों से जुड़ी है। एक बार भाईयों ने बहन को नकली चांद दिखाकर उसका व्रत तुड़वा दिया, जिससे उसके पति की हालत खराब हो गई। इसके बाद उसने पूरी श्रद्धा से करवा चौथ का व्रत रखा और भगवान गणेश की पूजा की, जिससे उसके पति को नया जीवन मिला। यह कहानी बताती है कि सही तरीके से व्रत करने से मनचाही खुशियां मिलती हैं।
सरगी और व्रत के नियम
सुहागन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाती हैं, जो सास द्वारा भेजी जाती है और इसमें मिठाई, फल, और अन्य सामग्री शामिल होती है। इसके बाद महिलाएं बिना खाना-पानी के रहती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन बाल नहीं धोने चाहिए और काले-सफेद कपड़े पहनने से बचना चाहिए। लाल, गुलाबी, या पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
रिश्तों में मिठास लाता है व्रत
करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत करता है। इस दिन पति को भी शराब और मांस से दूर रहना चाहिए और पत्नी के प्रति आदरपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। सुई-धागे और धारदार चीजों का इस्तेमाल न करना बेहतर होता है। चांद के दर्शन के बाद ही व्रत पूरा होता है। यह दिन सच्चाई, शुद्धता और विनम्रता का पालन करने का होता है, जिससे रिश्ते और गहरे होते हैं।
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