Jaipur Cyber Workshop: जयपुर में मंगलवार को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के आइआईडीएस, साइबर पीस फाउंडेशन और राजस्थान पुलिस ने मिलकर पत्रकारों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पत्रकारों को साइबर खतरों से निपटने में सक्षम बनाना था। ‘साइबर फर्स्ट रिस्पॉन्डर ट्रेनिंग’ नामक इस कार्यशाला का आयोजन ‘इंडिया एआई इम्पैक्ट समिट 2026’ से पहले किया गया, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से विकास और समानता की दिशा में प्रयास किए जाने पर चर्चा की गई।
खतरे की घंटी: फेक न्यूज़ और डीपफेक से समाज को कैसे बचाएं
इस कार्यशाला में बताया गया कि एआई का उपयुक्त इस्तेमाल समाज को गलत जानकारी से बचा सकता है। राजस्थान के डीजीपी, राजीव शर्मा ने कहा, “डिजिटल युग में फेक न्यूज़ और डीपफेक समाज के लिए गंभीर खतरा हैं।” उन्होंने कहा कि पत्रकार और मीडिया पेशेवर सत्य को उजागर करने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। इस पहल के माध्यम से मीडिया को डिजिटल खतरों से निपटने का महत्वपूर्ण प्रशिक्षण मिला।
नई दिशा: एआई से कैसे बढ़ाएं रिपोर्टिंग की सटीकता
वर्कशॉप के दौरान विशेषज्ञों ने एआई की मदद से फैक्ट-चेकिंग, डीपफेक पहचानने और गलत सूचना के पैटर्न को समझने जैसे विषयों पर गहन जानकारी दी। प्रोफ़ेसर मनीष गंगवार का कहना था कि यह प्रशिक्षण पत्रकारों को तेजी से बदलते डिजिटल युग में जिम्मेदार रिपोर्टिंग के लिए तैयार करता है। उन्होंने बताया कि आईएसबी का उद्देश्य पत्रकारों को सही जानकारी पहचानने और भरोसेमंद खबरों को बढ़ावा देने में मदद करना है।
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सच की ताकत: भरोसेमंद जानकारी पर जोर
साइबरपीस के फ़ाउंडर मेजर विनीत कुमार ने कहा, “फेक न्यूज़ और डीपफेक तकनीकी समस्या से परे, जनता के विश्वास के लिए बड़ी चुनौती हैं।” उन्होंने बताया कि साइबरपीस और आईएसबी का मकसद मीडिया प्रोफेशनल्स को ऐसी ट्रेनिंग देना है जिससे वे सिंथेटिक मीडिया को पहचान सकें और उसके प्रसार को रोक सकें। इस प्रशिक्षण से समाज में सही जानकारी तेजी से पहुँच सकेगी, और नुकसान कम होगा।
पत्रकारों की नई तैयारी: लाइव फैक्ट-चेकिंग और प्रैक्टिकल स्किल्स
इस कार्यशाला में लाइव फैक्ट-चेकिंग, रियल केस स्टडी और एआई से पूछताछ के सही तरीकों का अभ्यास कराया गया। प्रतिभागियों ने भावनात्मक रूप से बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई जानकारियों और संदर्भ से बाहर के दृश्यों जैसी गलतियों को पहचानने का तरीका सीखा। इसके अलावा, उन्होंने एआई टूल्स की मदद से डीपफेक को पहचानने की तकनीक भी सीखी। इस पहल का मुख्य लक्ष्य पत्रकारों को डिजिटल युग में फैल रही गलत जानकारियों का सामना करने के लिए तैयार करना है।
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