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Toll Tax News: देशभर के टोल प्लाजा होंगे बंद, गडकरी का ऐलान- हाईवे पर बिना रुके दौड़ेंगे वाहन, बचेंगे घंटों!

Toll Tax News: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद के शीतकालीन सत्र में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जो लाखों वाहन चालकों के लिए राहत की सांस लेकर आएगी। उन्होंने बताया कि अगले 12 महीनों के अंदर टोल टैक्स संग्रह की पुरानी मैनुअल प्रणाली को पूरी तरह से डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मोड (Electronic Toll Collection) में बदल दिया जाएगा।

Naveen Parmuwal
Written by: Naveen Parmuwal - Senior Sub Editor
6 Min Read

Toll Tax News: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद के शीतकालीन सत्र में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जो लाखों वाहन चालकों के लिए राहत की सांस लेकर आएगी। उन्होंने बताया कि अगले 12 महीनों के अंदर टोल टैक्स संग्रह की पुरानी मैनुअल प्रणाली को पूरी तरह से डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मोड (Electronic Toll Collection) में बदल दिया जाएगा। इस बदलाव से देशभर के सैकड़ों टोल बूथ बंद हो जाएंगे, और यात्रियों को अब टोल प्लाजा पर रुककर लंबी कतारों का सामना नहीं करना पड़ेगा। गडकरी ने जोर देकर कहा कि यह कदम न केवल यात्रा को तेज और सुगम बनाएगा, बल्कि ईंधन की बचत और पर्यावरण संरक्षण में भी बड़ा योगदान देगा।

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नई प्रणाली का खाका: कैसे बदलेगी टोल वसूली की तस्वीर

गडकरी ने लोकसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल संग्रह की मौजूदा व्यवस्था, जहां वाहनों को बूथ पर रोककर नकद या कार्ड से भुगतान करना पड़ता है, अब इतिहास का हिस्सा बन जाएगी। नई इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली को शुरुआत में 10 प्रमुख स्थानों पर परीक्षण के रूप में शुरू किया गया है। इनमें दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, चेन्नई-बेंगलुरु हाईवे और अन्य व्यस्त मार्ग शामिल हैं। परीक्षण सफल होने के बाद, यह सिस्टम अगले एक साल में पूरे 4,500 किलोमीटर से अधिक लंबे राजमार्ग नेटवर्क पर फैल जाएगा।

इस प्रणाली का आधार राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (एनईटीसी) प्लेटफॉर्म है, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने विकसित किया है। यह एक एकीकृत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है, जो फास्टैग जैसी तकनीकों के साथ जुड़कर काम करेगा। वाहन के आगे लगे आरएफआईडी चिप या ऐप-आधारित सेंसर के जरिए टोल स्वचालित रूप से वाहन मालिक के बैंक खाते से कट जाएगा, बिना किसी रुकावट के। मंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा, “कल्पना कीजिए, आप हाईवे पर दौड़ते हुए बिना रुके टोल पार कर जाते हैं, और खाता स्वतः एडजस्ट हो जाता है। यही तो आधुनिक भारत की तस्वीर है।”

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यात्रियों को क्या-क्या फायदे मिलेंगे?

यह बदलाव वाहन चालकों के लिए वरदान साबित होगा। वर्तमान में टोल प्लाजा पर लगने वाली कतारें न केवल समय बर्बाद करती हैं, बल्कि ट्रैफिक जाम का कारण भी बनती हैं। एक औसत यात्रा में 15-20 मिनट की देरी होने से सालाना अरबों लीटर ईंधन बर्बाद होता है। नई प्रणाली से:

  • समय की बचत: लंबी दूरी की यात्राओं, जैसे दिल्ली से मुंबई या कोलकाता से चेन्नई, में घंटों की बचत होगी।
  • ईंधन और लागत में कमी: रुकावट कम होने से वाहन की औसत गति बढ़ेगी, जिससे पेट्रोल-डीजल की खपत घटेगी।
  • सुरक्षा में सुधार: जाम कम होने से दुर्घटनाओं का खतरा घटेगा, खासकर रात के समय।
  • पर्यावरणीय लाभ: कम उत्सर्जन से हवा की गुणवत्ता बेहतर होगी।

गडकरी ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि देश में रोजाना करोड़ों वाहन टोल चुकाते हैं, और इस डिजिटलीकरण से सरकारी राजस्व भी अधिक पारदर्शी और कुशल तरीके से जुटेगा। वर्तमान में 10 लाख करोड़ रुपये की 4,500 से अधिक राजमार्ग परियोजनाएं चल रही हैं, जो इस नई व्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान करेंगी।

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चुनौतियां और समाधान: क्या होगा ग्रामीण इलाकों में?

हालांकि शहरी और व्यस्त हाईवे पर यह सिस्टम आसानी से लागू हो जाएगा, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और जागरूकता की कमी एक चुनौती हो सकती है। सरकार ने इसके लिए एनपीसीआई के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाने का प्लान बनाया है। साथ ही, फास्टैग न होने वाले वाहनों के लिए हाल ही में यूपीआई पेमेंट की सुविधा दी गई है, जिसमें नकद भुगतान पर दोगुना जुर्माने के बजाय केवल 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगेगा। यह व्यवस्था नवंबर 2025 से प्रभावी है और लाखों पुराने वाहनों को कवर करेगी।

मंत्री ने संसद में कहा, “हमारा लक्ष्य है कि कोई भी यात्री टोल के नाम पर परेशान न हो। यह बदलाव न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक न्याय का भी प्रतीक है।” विपक्ष ने इस घोषणा का स्वागत किया है, लेकिन कुछ सदस्यों ने पूछा कि क्या छोटे वाहनों और दोपहिया के लिए भी यह सुविधा होगी। गडकरी ने आश्वासन दिया कि अगले बजट में इसकी विस्तृत योजना पेश की जाएगी।

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विस्तृत रिपोर्ट: टोल सिस्टम का भविष्य

भारत में टोल संग्रह की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी, जब निजी कंपनियों को राजमार्ग बनाने के लिए टोल वसूली का अधिकार दिया गया। लेकिन बढ़ते ट्रैफिक के साथ पुरानी प्रणाली बोझ बन गई। एनईटीसी का पायलट प्रोजेक्ट 2016 से चल रहा है, लेकिन अब इसे पूर्ण रूप से लागू करने का समय आ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे टोल राजस्व में 20-30 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, क्योंकि लीकेज कम होगा।

इसके अलावा, सरकार ड्राइवरों के लिए एक मोबाइल ऐप लॉन्च करने की तैयारी कर रही है, जहां वे रीयल-टाइम टोल बैलेंस चेक कर सकेंगे और रूट प्लानिंग कर सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अमेरिका और यूरोप में ऐसी सिस्टम लंबे समय से चल रही हैं, और भारत अब इस दौड़ में शामिल हो रहा है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. नई इलेक्ट्रॉनिक टोल प्रणाली कब से पूरी तरह लागू हो जाएगी?

    अगले 12 महीनों के अंदर, यानी दिसंबर 2026 तक पूरे देश में यह सिस्टम सक्रिय हो जाएगा। शुरुआत में 10 स्थानों पर यह पहले से चल रही है।

  2. क्या टोल बूथ पूरी तरह बंद हो जाएंगे?

    हां, मौजूदा टोल बूथों को हटा दिया जाएगा। वाहन बिना रुके हाईवे पार कर सकेंगे, और टोल स्वचालित रूप से कट जाएगा।

  3. फास्टैग न होने पर क्या होगा?

    फास्टैग के बिना भी यूपीआई या ऐप से भुगतान संभव है। नकद भुगतान पर केवल 1.25 गुना टोल लगेगा, दोगुना नहीं।

  4. क्या दोपहिया वाहनों को भी यह सुविधा मिलेगी?

    हां, सरकार जल्द ही दोपहिया और छोटे वाहनों के लिए अलग फास्टैग विकल्प लाएगी। विस्तृत दिशानिर्देश अगले बजट में आएंगे।

  5. क्या ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की कमी से समस्या होगी?

    सरकार जागरूकता अभियान और ऑफलाइन बैकअप सिस्टम विकसित कर रही है। एनपीसीआई स्थानीय स्तर पर ट्रेनिंग देगा।

  6. इस बदलाव से टोल टैक्स की दरें बढ़ेंगी या नहीं?

    नहीं, दरें वही रहेंगी। यह बदलाव केवल संग्रह प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के लिए है, न कि दरें बढ़ाने के लिए।

  7. ईंधन बचत कितनी होगी?

    अनुमान के अनुसार, सालाना अरबों लीटर ईंधन की बचत होगी, क्योंकि जाम कम होने से वाहनों की औसत गति 20-30 प्रतिशत बढ़ेगी।

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नवीन पारमुवाल एक युवा डिजिटल पत्रकार और अनुभवी कंटेंट विशेषज्ञ हैं। राजस्थान के सीकर से ताल्लुक रखने वाले नवीन ने पिछले 6 सालों में डिजिटल मीडिया और न्यूज इंडस्ट्री में काम किया है। उन्होंने राजस्थान के नंबर वन अखबार राजस्थान पत्रिका से अपने करियर की शुरुआत की। जमीनी स्तर पर रिपोर्टिंग के जरिए उन्होंने लोकल मुद्दों, घटनाओं और समाज से जुड़ी खबरों को नजदीक से देखा और पाठकों तक पहुंचाया।बाद में पत्रिका.कॉम के साथ डिजिटल पत्रकारिता में कदम रखते हुए नवीन ने प्रदेश, राजनीति, व्यापार, तकनीक, मनोरंजन और अंतरराष्ट्रीय खबरों जैसे अहम मोर्चों को संभाला। उन्होंने ईटीवी भारत और वनइंडिया हिंदी जैसे न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर काम करते हुए न्यूज एडिटिंग, कंटेंट मैनेजमेंट और होमपेज ऑपरेशंस में अपनी गहरी पकड़ बनाई।तेज और सटीक रिपोर्टिंग के साथ-साथ SEO ऑप्टिमाइजशन और ऑडियंस एंगेजमेंट में उनकी दक्षता ने उन्हें डिजिटल मीडिया में अलग पहचान दिलाई।पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके योगदान को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें पंडित झाबरमल शर्मा पत्रकारिता पुरस्कार (डिजिटल) और गोल्डन अवॉर्ड- पत्रिका.कॉम प्रमुख हैं।
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