दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि कानून का उद्देश्य आलस को बढ़ावा देना नहीं है। जस्टिस चंद्र धारी सिंह की पीठ ने यह टिप्पणी एक ऐसे मामले में की, जहां एक पढ़ी-लिखी महिला ने अपने पति से अंतरिम गुजारा भत्ता (इंटरिम मेंटेनेंस) की मांग की थी। कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि यदि कोई महिला शिक्षित है और कमाने की क्षमता रखती है, तो उसे अपने पति पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं रहना चाहिए।
कोर्ट ने कहा, आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दें
जस्टिस सिंह ने अपने फैसले में कहा कि CrPC की धारा 125 का उद्देश्य पति-पत्नी के बीच समानता कायम करना और परिवार के सदस्यों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है, न कि आलस को प्रोत्साहित करना। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षित महिलाओं को अपनी योग्यता और अनुभव का उपयोग करके आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करनी चाहिए। याचिकाकर्ता महिला के मामले में, कोर्ट ने कहा कि उसके पास नौकरी का अनुभव और शैक्षणिक योग्यता है, जिसका उपयोग कर वह स्वयं अपना खर्च उठा सकती है।
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यह था पूरा मामला
यह मामला एक ऐसे दंपति का है, जिन्होंने दिसंबर 2019 में शादी की और शादी के बाद सिंगापुर चले गए। महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति और ससुराल वालों ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया, जिसके बाद वह फरवरी 2021 में भारत लौट आई। महिला ने दावा किया कि वह अपने गहने बेचकर भारत आई और आर्थिक तंगी के कारण अपने रिश्तेदारों के साथ रहने लगी। जून 2021 में, उसने अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग करते हुए याचिका दायर की, जिसे ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद वह दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची।
पति ने कहा— वह नौकरी कर सकती है
पति ने कोर्ट में कहा कि महिला पढ़ी-लिखी है और उसके पास ऑस्ट्रेलिया से मास्टर्स की डिग्री है। शादी से पहले वह दुबई में एक अच्छी नौकरी कर रही थी और अच्छी कमाई करती थी। पति ने यह भी कहा कि सिर्फ बेरोजगार होने के आधार पर गुजारा भत्ता नहीं मांगा जा सकता। कोर्ट ने इस बात पर सहमति जताते हुए कहा कि महिला ने नौकरी की तलाश के अपने दावे को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया। कोर्ट ने कहा, “नौकरी की तलाश के दावे के लिए सिर्फ बयान देना पर्याप्त नहीं है।”
महिला के इरादे पर सवाल
कोर्ट ने महिला और उसकी मां के बीच हुई कुछ बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि इन बातचीत से साफ पता चलता है कि महिला का मकसद सिर्फ गुजारा भत्ता प्राप्त करना था। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला शारीरिक रूप से स्वस्थ और योग्य है, इसलिए उसे आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करनी चाहिए।