Ad image
°C | °F
📍 Detect Location
Loading weather...
Powered By FM Sikar

Abortion Constitutional Right: फ्रांस गर्भपात को संवैधानिक अधिकार देने वाला पहला देश बना, भारत में क्या है गर्भपात के नियम व अधिकार?

Gullak Sharma
Written by: Gullak Sharma - Sub Editor
3 Min Read

Abortion Constitutional Right: हाल ही में फ्रांस ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए गर्भपात को संवैधानिक मान्यता प्रदान की है। इसके लिए फ्रांस के संविधान में संशोधन किया गया। संविधान संशोधन के लिए संयुक्त सत्र बुलाया गया। जिसमें गर्भपात से संबंधित कानून को संवैधानिक अधिकार देने के लिए 780 बनाम 72 वोटों से बहुमत प्राप्त हुआ। अर्थात फ्रांस द्वारा बहुमत से इस संशोधन को स्वीकार किया गया। इसी प्रकार फ्रांस दुनिया में गर्भपात को संवैधानिक अधिकार देने वाला पहला देश बन गया है।

Advertisement

फ्रांस में गर्भपात को कानूनी अधिकार 1975 से ही प्राप्त था, लेकिन कानूनी अधिकार को संवैधानिक अधिकार देने के पीछे भी एक कारण है। 2022 में यूएसए की सुप्रीम कोर्ट ने 1973 में गर्भपात से संबंधित दिए गए अधिकार को पलटते हुए इसे अस्वीकार कर दिया। अस्वीकार करने के कारण 2022 में पूरे पश्चिमी देशों में गर्भपात से संबंधित अधिकारों पर चर्चा की गई तथा एक चिंता की गई। इस दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा गर्भपात के कानूनी अधिकार को संवैधानिक अधिकार देने का वादा किया गया।

भारत में गर्भपात से संबंधित कानून- (Abortion Rights in India)

यह भी जरूर पढ़ें...

Advertisement

भारत में गर्भपात से संबंधित स्थितियों पर निरंतर नियंत्रण के लिए सन 1971 में एक कानून बनाया गया जो मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 है। इस एक्ट में 2021 में संशोधन भी किया गया।

इस एक्ट के महत्वपूर्ण प्रावधान निम्न प्रकार है-

Advertisement

-एक पंजीकृत चिकित्सक गर्भपात कर सकता है।
-गर्भावस्था में महिला के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को खतरा पैदा होता हो अथवा भ्रूण के मानसिक पीड़ित होने की आशंका हो तो गर्भपात करवाया जा सकता है।
-20 सप्ताह तक या इससे कम समय में एक चिकित्सक गर्भपात का निर्णय ले सकता है।
-20 से 24 सप्ताह तक गर्भपात करने के लिए दो चिकित्सकों द्वारा निर्णय लिया जाएगा। यह विकल्प कुछ ही महिलाओं के लिए है जैसे- बलात्कार से पीड़ित महिला, नाबालिक महिला, मानसिक रूप से बीमार महिला।
सन 2021 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट में संशोधन द्वारा गर्भवती महिला को 24 सप्ताह तक गर्भपात का अधिकार दिया गया।

गर्भपात एक संवेदनशील मुद्दा है, इसमें भ्रूण के जीवन तथा महिला के चयन की स्वतंत्रता आमने-सामने आती है। अक्सर इस प्रकार के निर्णय में जीवन की स्वतंत्रता v/s चयन की स्वतंत्रता का संघर्ष चलता रहता है। भ्रूण अर्थात किसी के जीवन से वंचित करने का अधिकार किसी मनुष्य को नहीं हो सकता। लेकिन इस प्रकार एक महिला को भी गर्भधारण करने अथवा नहीं करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। अंत में यह निष्कर्ष निकलता है कि जब तक भ्रूण की धड़कन का विकास नहीं हो जाता अर्थात जब तक भ्रूण में संवेदना विकसित नहीं हो जाती तब तक भ्रूण को हटाया जाना जीव हत्या नहीं मानी जा सकती। इससे महिलाओं के चयन की स्वतंत्रता भी बनी रहती है।

Advertisement

Want a Website like this?

Designed & Optimized by Naveen Parmuwal
Journalist | SEO | WordPress Expert

Contact Me
Share This Article
Sub Editor
गुल्लक शर्मा शेखावाटी यूनिवर्सिटी से BSc में ग्रेजुएट किया हैं और वर्तमान में Civil Service की तैयारी कर रही हैं। उनको राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में साक्षात्कार देने का अनुभव प्राप्त हैं। Civil Service की तैयारी के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संबंध, पॉलिटी, करंट में चर्चित मुद्दों के कॉन्सेप्ट का गहराई से अध्ययन किया है। गुल्लक शर्मा को सरकारी योजनाएं, पाॅलिटी, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे और करंट अफेयर्स जैसे विषयों पर लिखने का अनुभव हैं। वर्तमान में 89.6 एफएम सीकर में राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय व पॉलिटिकल न्यूज का जिम्मा संभाल रही हैं।
°C | °F
📍 Detect Location
Loading weather...
Powered By FM Sikar
🏠 Home 📢 Breaking News
📢 Breaking News:
News in Image Share Link