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Adarsh Achar Sanhita: क्या होती है आदर्श आचार संहिता? चुनावों में क्यों पड़ती है इसकी जरूरत? जानें इतिहास और रोचक बातें

Gullak Sharma
Written by: Gullak Sharma - Sub Editor
7 Min Read

Adarsh Achar Sanhita in Hindi: देश में 18वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव 2024 (General Election 2024) का आयोजन मई में होने की संभावना है। चुनाव से पहले एक चुनाव अधिसूचना जारी होती है तथा आचार संहिता लागू (Model code of conduct in Hindi) हो जाती है। हाल ही में निर्वाचन आयोग (Election Commission) के निर्वाचन आयुक्त अरुण कुमार गोयल ने इस्तीफा दिया है जिसके कारण यह विषय चर्चा में बना हुआ है।

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गौरतलब है कि निर्वाचन आयुक्त की एक सीट पहले से रिक्त थी। अब अरुण कुमार गोयल के इस्तीफा देने से दोनों सीट रिक्त हो गई हैं। इसी बीच चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 (Lok sabha election 2024) की तैयारी की जा रही है। चुनाव से पहले एक चुनाव अधिसूचना जारी की जाती है तथा आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। आइये जानते हैं आदर्श आचार संहिता क्या है? इसे कौन लागू करता है और इससे जुड़ी प्रमुख जानकारियां।

आदर्श आचार संहिता क्या है? (Adarsh Achar Sanhita Kya hai)

लोकतंत्र में चुनाव सबसे महत्वपूर्ण है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश है। चुनाव को लोकतंत्र में उत्सव की तरह मनाया जाता है। लोकतंत्र के त्योहार में सभी राजनीतिक पार्टियां व मतदाता बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। राजनीतिक दल सत्ता हासिल करने के लिए मतदाताओं के हित में घोषणाएं कर चुनावी वादे करते हैं। सभी राजनीतिक पार्टियों को सत्ता प्राप्त करने के लिए समान अधिकार प्रदान करवाना आवश्यक हो जाता है।

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चुनाव प्रचार को स्पष्ट, निष्पक्ष बनाने, समान अधिकार प्राप्त करने के उद्देश्य से पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए कुछ नियमावली जारी की जाती है जिसे आदर्श आचार संहिता कहते हैं। यह आचार संहिता चुनाव की तारीख घोषित होते ही लागू हो जाती है तथा चुनाव परिणाम आने तक रहती है। आचार संहिता स्वस्थ लोकतंत्र की स्थापना के लिए राजनीतिक पार्टियों के अधिकारों की रक्षा कर सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी को सरकारी मशीनरी के प्रयोग से रोकती है।

आदर्श आचार संहिता कैसे आई अस्तित्व में? (Adarsh Achar Sanhita History)

आदर्श आचार संहिता को किसी कानून द्वारा नहीं बनाया गया है। यह राजनीतिक दलों की सहमति से विकसित नियमावली है। सर्वप्रथम 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के समय आचार संहिता का विचार आया। जिसमें चुनाव के दौरान क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए जैसे संकल्पनाओं पर विचार किया गया। 1962 के आम लोकसभा चुनाव में पहली बार उम्मीदवार और राजनीतिक पार्टी द्वारा इसे लागू किया गया था।

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आदर्श आचार संहिता की आवश्यकता क्यों? (Need of Adarsh Achar Sanhita)

राजनीतिक पार्टियां शासन में अपनी सत्ता प्राप्त करने के लिए पुरजोर प्रयास करती है। भारत विविधताओं से भरा देश है, सभी राजनीतिक पार्टियों की लोकप्रियता व आर्थिक स्थिति भी विविध है। ऐसी स्थिति में सत्ताधारी व बड़ी राजनीतिक पार्टियों द्वारा छोटी और उभरती हुई राजनीतिक पार्टी के अधिकारों के हनन की आशंका बनी रहती है। आदर्श आचार संहिता सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को समान स्तर पर लाने का प्रयास करती है। ताकि प्रतिस्पर्धा के लिए समान अवसर प्राप्त हो सके। अर्थात चुनाव प्रक्रिया व प्रचार को निष्पक्ष बनाने के लिए आचार संहिता आवश्यक है। चुनावी हिंसा तथा अनैतिक गतिविधियों को रोकने के लिए आचार संहिता आवश्यक है।

आदर्श आचार संहिता लागू करने का अधिकार?

आदर्श आचार संहिता लागू करने का अधिकार निर्वाचन आयोग को है। भारत निर्वाचन आयोग स्वायत संवैधानिक निकाय है जो देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभा, राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव से पहले एक अधिसूचना जारी की जाती है। चुनाव की तारीख की घोषणा की करने के साथ संहिता लागू हो जाती है जो चुनाव परिणाम जारी होने तक लागू रहती है। 1994 के SR बोमई वाद में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आचार संहिता के अधिकार प्राप्त करने के पक्ष में फैसला दिया।

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आचार संहिता में उम्मीदवारों व राजनीतिक दलों के सामान्य आचरण की नियमावली होती है। चुनाव के दौरान क्या करना चाहिए, क्या नहीं किया जाना चाहिए की लंबी चौड़ी सूची होती है। कुछ महत्वपूर्ण नियम निम्न प्रकार है-

– आचार संहिता लागू होते ही सरकारों तथा सरकारी प्रशासन पर अंकुश लगता है। सभी सरकारी कर्मचारी निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में आ जाते हैं जिनका स्थानांतरण निर्वाचन आयोग अपनी सुविधा अनुसार कर सकता है।
-सत्ताधारी दल पर सरकारी मशीनरी प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना। वह मतदाता को लुभाने के लिए लोक लुभावन योजना लागू करने के लिए प्रतिबंधित करता है।
-सरकारी कर्मचारियों को चुनाव प्रचार की मनाई होती है ऐसा किया जाने पर निर्वाचन आयोग कर्मचारियों पर कार्यवाही कर सकता है।
-सरकारी धन से चुनाव प्रचार व विज्ञापन नहीं किया जा सकता।
-जातिगत, सांप्रदायिक मुद्दों पर वोट प्राप्त करने की मनाही।
-राजनीतिक पार्टी द्वारा बैठक करने जुलूस निकालने के लिए नियम बनाए गए हैं। इससे पहले आयोग से अनुमति लेना आवश्यक है।

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निर्वाचन आयोग द्वारा अपनाई गई तकनीकी

निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव को निष्पक्ष रूप से करवाने के लिए नियम बनाए जाते हैं। जिसके लिए आयोग द्वारा कुछ तकनीके भी अपनाई गई है। तकनीकी का प्रयोग करते हुए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा cVIGIL सिटिजन एप विकसित किया गया है। यह एक मोबाइल एप्लीकेशन है जो नागरिकों को चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाता है। इसके माध्यम से मतदाता आदर्श आचार्य संहिता के उल्लंघन की फोटो तथा 2 मिनट के वीडियो को अपलोड कर आयोग को जानकारी दे सकता है। आयोग द्वारा चुनाव को निष्पक्ष रूप से संचालित करने के लिए नेशनल कंप्लेंट सर्विस, सुगम, इंटीग्रेटेड कॉन्टैक्ट सेंटर सुविधा, इलेक्शन मॉनिटरिंग डैशबोर्ड, वन वे इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट का प्रयोग भी किया जाता है।

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Sub Editor
गुल्लक शर्मा शेखावाटी यूनिवर्सिटी से BSc में ग्रेजुएट किया हैं और वर्तमान में Civil Service की तैयारी कर रही हैं। उनको राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में साक्षात्कार देने का अनुभव प्राप्त हैं। Civil Service की तैयारी के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संबंध, पॉलिटी, करंट में चर्चित मुद्दों के कॉन्सेप्ट का गहराई से अध्ययन किया है। गुल्लक शर्मा को सरकारी योजनाएं, पाॅलिटी, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे और करंट अफेयर्स जैसे विषयों पर लिखने का अनुभव हैं। वर्तमान में 89.6 एफएम सीकर में राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय व पॉलिटिकल न्यूज का जिम्मा संभाल रही हैं।
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