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Jaipur Cyber News: राजस्थान पुलिस की जयपुर में पत्रकारों के लिए साइबर खतरों से निपटने की विशेष ट्रेनिंग, फेक न्यूज़ और डीपफेक की चुनौती पर चर्चा

Cyber Workshop: जयपुर में साइबर खतरों से निपटने के लिए पत्रकारों को विशेष ट्रेनिंग मिली। इस कार्यशाला में फेक न्यूज़ और डीपफेक जैसी चुनौतियों पर चर्चा हुई। राजस्थान पुलिस और आईएसबी ने इस आयोजन का भाग लिया।

Naveen Parmuwal
Written by: Naveen Parmuwal - Senior Sub Editor
3 Min Read

Jaipur Cyber Workshop: जयपुर में मंगलवार को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के आइआईडीएस, साइबर पीस फाउंडेशन और राजस्थान पुलिस ने मिलकर पत्रकारों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पत्रकारों को साइबर खतरों से निपटने में सक्षम बनाना था। ‘साइबर फर्स्ट रिस्पॉन्डर ट्रेनिंग’ नामक इस कार्यशाला का आयोजन ‘इंडिया एआई इम्पैक्ट समिट 2026’ से पहले किया गया, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से विकास और समानता की दिशा में प्रयास किए जाने पर चर्चा की गई।

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खतरे की घंटी: फेक न्यूज़ और डीपफेक से समाज को कैसे बचाएं

इस कार्यशाला में बताया गया कि एआई का उपयुक्त इस्तेमाल समाज को गलत जानकारी से बचा सकता है। राजस्थान के डीजीपी, राजीव शर्मा ने कहा, “डिजिटल युग में फेक न्यूज़ और डीपफेक समाज के लिए गंभीर खतरा हैं।” उन्होंने कहा कि पत्रकार और मीडिया पेशेवर सत्य को उजागर करने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। इस पहल के माध्यम से मीडिया को डिजिटल खतरों से निपटने का महत्वपूर्ण प्रशिक्षण मिला।

नई दिशा: एआई से कैसे बढ़ाएं रिपोर्टिंग की सटीकता

वर्कशॉप के दौरान विशेषज्ञों ने एआई की मदद से फैक्ट-चेकिंग, डीपफेक पहचानने और गलत सूचना के पैटर्न को समझने जैसे विषयों पर गहन जानकारी दी। प्रोफ़ेसर मनीष गंगवार का कहना था कि यह प्रशिक्षण पत्रकारों को तेजी से बदलते डिजिटल युग में जिम्मेदार रिपोर्टिंग के लिए तैयार करता है। उन्होंने बताया कि आईएसबी का उद्देश्य पत्रकारों को सही जानकारी पहचानने और भरोसेमंद खबरों को बढ़ावा देने में मदद करना है।

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सच की ताकत: भरोसेमंद जानकारी पर जोर

साइबरपीस के फ़ाउंडर मेजर विनीत कुमार ने कहा, “फेक न्यूज़ और डीपफेक तकनीकी समस्या से परे, जनता के विश्वास के लिए बड़ी चुनौती हैं।” उन्होंने बताया कि साइबरपीस और आईएसबी का मकसद मीडिया प्रोफेशनल्स को ऐसी ट्रेनिंग देना है जिससे वे सिंथेटिक मीडिया को पहचान सकें और उसके प्रसार को रोक सकें। इस प्रशिक्षण से समाज में सही जानकारी तेजी से पहुँच सकेगी, और नुकसान कम होगा।

पत्रकारों की नई तैयारी: लाइव फैक्ट-चेकिंग और प्रैक्टिकल स्किल्स

इस कार्यशाला में लाइव फैक्ट-चेकिंग, रियल केस स्टडी और एआई से पूछताछ के सही तरीकों का अभ्यास कराया गया। प्रतिभागियों ने भावनात्मक रूप से बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई जानकारियों और संदर्भ से बाहर के दृश्यों जैसी गलतियों को पहचानने का तरीका सीखा। इसके अलावा, उन्होंने एआई टूल्स की मदद से डीपफेक को पहचानने की तकनीक भी सीखी। इस पहल का मुख्य लक्ष्य पत्रकारों को डिजिटल युग में फैल रही गलत जानकारियों का सामना करने के लिए तैयार करना है।

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नवीन पारमुवाल एक युवा डिजिटल पत्रकार और अनुभवी कंटेंट विशेषज्ञ हैं। राजस्थान के सीकर से ताल्लुक रखने वाले नवीन ने पिछले 6 सालों में डिजिटल मीडिया और न्यूज इंडस्ट्री में काम किया है। उन्होंने राजस्थान के नंबर वन अखबार राजस्थान पत्रिका से अपने करियर की शुरुआत की। जमीनी स्तर पर रिपोर्टिंग के जरिए उन्होंने लोकल मुद्दों, घटनाओं और समाज से जुड़ी खबरों को नजदीक से देखा और पाठकों तक पहुंचाया।बाद में पत्रिका.कॉम के साथ डिजिटल पत्रकारिता में कदम रखते हुए नवीन ने प्रदेश, राजनीति, व्यापार, तकनीक, मनोरंजन और अंतरराष्ट्रीय खबरों जैसे अहम मोर्चों को संभाला। उन्होंने ईटीवी भारत और वनइंडिया हिंदी जैसे न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर काम करते हुए न्यूज एडिटिंग, कंटेंट मैनेजमेंट और होमपेज ऑपरेशंस में अपनी गहरी पकड़ बनाई।तेज और सटीक रिपोर्टिंग के साथ-साथ SEO ऑप्टिमाइजशन और ऑडियंस एंगेजमेंट में उनकी दक्षता ने उन्हें डिजिटल मीडिया में अलग पहचान दिलाई।पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके योगदान को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें पंडित झाबरमल शर्मा पत्रकारिता पुरस्कार (डिजिटल) और गोल्डन अवॉर्ड- पत्रिका.कॉम प्रमुख हैं।
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