Rajasthan Nikay Chunav 2025 Date: राजस्थान में नगरीय चुनावों की हलचल फिर से तेज हो गई है। राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि अक्टूबर से नवंबर 2025 के बीच नगर निकायों के चुनाव कराए जाएंगे। नगरीय विकास और आवासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि इससे पहले सीमांकन और पुनर्गठन का काम जुलाई तक निपटाया जाएगा, जिससे वार्डों की संख्या और दायरे को संतुलित किया जा सके।
‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ की दिशा में बड़ा कदम
सरकार इस बार एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है। ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ यानी पूरे प्रदेश में एक ही समय पर चुनाव कराने के मॉडल को अपनाया जाएगा। इस तहत जयपुर, जोधपुर और कोटा जैसे बड़े शहरों में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बनाए गए दो-दो नगर निगमों को मिलाकर अब एक ही निकाय बनाया जाएगा। इससे न सिर्फ प्रशासनिक कामकाज में सुधार आएगा, बल्कि मतदाता असमानता की समस्या भी दूर होगी।
सीमांकन और वार्ड पुनर्गठन जारी
यूडीएच मंत्री के मुताबिक, राज्य के 100 से ज्यादा शहरी क्षेत्रों में सीमांकन का काम तेजी से जारी है। कई वार्डों में मतदाताओं की संख्या में भारी अंतर पाया गया है—कुछ में यह फर्क 300% तक पहुंच गया है, जो कि आदर्श स्थिति के मुकाबले बेहद ज्यादा है। इस अंतर को संतुलित करने के लिए वार्डों की संख्या में कटौती या विलय की योजना पर काम हो रहा है।
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अगस्त में मतदाता सूची का काम शुरू
निर्वाचन विभाग को अगस्त 2025 से मतदाता सूची तैयार करने का निर्देश दिया जाएगा। इसके तहत 1 जनवरी 2025 को आधार मानते हुए मतदाताओं का वार्ड-वार सत्यापन किया जाएगा। प्रगणक घर-घर जाकर सूची की पुष्टि करेंगे ताकि कोई नाम छूटे नहीं और सूची त्रुटिरहित रहे।
प्रशासकों की नियुक्ति भी संभव
नवंबर 2025 में कई नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। चुनाव संपन्न होने तक सरकार वहां प्रशासक नियुक्त कर सकती है, ताकि शहरी प्रशासन प्रभावित न हो और ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ योजना पर अमल किया जा सके।
नए जिलों की सीमाएं बन रहीं बाधा
सीमांकन कार्य के दौरान सबसे बड़ी चुनौती नए जिलों की सीमाओं का निर्धारण बन रही है। सरकार ने भले ही नए जिलों की घोषणा कर दी हो, लेकिन उनकी सटीक सीमाओं को तय करने का काम अब भी अधूरा है। फिर भी, राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान केंद्रों की योजना और कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राजनीतिक माहौल गर्माने लगा
जैसे-जैसे चुनाव की सुगबुगाहट बढ़ी है, राजनीतिक दल भी अपनी रणनीति में जुट गए हैं। बीजेपी समर्थकों ने सोशल मीडिया के जरिए कार्यकर्ताओं को तैयार रहने का संदेश देना शुरू कर दिया है, वहीं विपक्षी दल सरकार से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।