Jaisalmer Bus Fire Incident: जैसलमेर में हुए बस अग्निकांड की FSL रिपोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किए हैं। 14 अक्टूबर को घटित इस हादसे में बस में आग लगने का कारण एसी की खराब वायरिंग में शॉर्ट सर्किट था। यह आग बस की छत से शुरु हुई थी और धीरे-धीरे पूरे केबिन में फैल गई थी, जिससे कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस भर गई और यात्रियों का दम घुटने लगा। आग से बचने के लिए खिड़कियों के कांच तोड़े गए, जिससे बाहर की हवा ने आग को और भड़काया और बस पूरी तरह जल गई। इस दुखद घटना में 26 लोगों की जान चली गई।
घटना की जांच में क्या आया सामने
जयपुर और जोधपुर की एफएसएल टीमों ने 15 अक्टूबर को मौके पर पहुंचकर जली हुई बस की गहन जांच की। एसपी अभिषेक शिवहरे ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार बस की छत पर लगे एसी का कनेक्शन इंजन से था और यहीं से निकली चिंगारी ने वायरिंग में आग लगा दी। कुछ ही मिनटों में धुआं केबिन में फैल गया और यात्रियों के पास बचने का कोई मौका नहीं था। कार्बन मोनो ऑक्साइड फैलने से लोग बेहोश होने लगे और जिन यात्रियों ने खिड़कियां तोड़ीं, अतिरिक्त ऑक्सीजन से आग ने भयंकर रूप ले लिया।
हादसे के तकनीकी पहलू
एफएसएल की रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि बस के निचले हिस्से, टायर और डीजल टैंक सुरक्षित थे, जिससे यह साफ है कि आग ऊपर से एसी यूनिट की वजह से लगी। बस की डिक्की में मिले पटाखे पूरी तरह भीगे हुए थे और उनमें विस्फोटक के कोई सबूत नहीं मिले। रिपोर्ट ने जताया कि हादसा किसी बाहरी साजिश से नहीं, बल्कि तकनीकी खामी और लापरवाही का परिणाम था।
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सुरक्षा उपायों की घोर अनदेखी
जांच में पता चला कि बस में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई थी। एसी वायरिंग इंजन के साथ असुरक्षित तरीके से जुड़ी थी और बस की बॉडी में फायर-रेजिस्टेंस सामग्री का प्रयोग नहीं था। एसपी शिवहरे के अनुसार, प्रारंभिक जांच के बाद बस मालिक, ड्राइवर और बॉडी मेकर को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह हादसा लापरवाही और सुरक्षा नियमों की अनदेखी की वजह से हुआ, जिसे सही तकनीकी फिटिंग और निरीक्षण से टाला जा सकता था।
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