RJ Rupali Interview: आज हम आपको एक ऐसी शख्यिसत से मिलवाने जा रहे हैं, जो हमें सिखाती है कि अगर हम कुछ करने की ठान लें, तो कोई भी मुश्किल हमें रोक नहीं सकती। यह महिलाओं को अपने सपने पूरे करने और लक्ष्य पाने के लिए उत्साहित करती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं हाल ही में सुपर वुमनिया अवार्ड से सम्मानित संतोष जांगिड़ की, जिन्होंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करते हुए, परिवार, व्यवसाय और समाज सेवा के बीच संतुलन बनाए रखा। आरजे रुपाली कुमावत ने संतोष जांगिड़ से विशेष बातचीत की।
प्रश्न: सुपर वुमनिया अवार्ड शो से आपको क्या प्रेरणा मिलती है, और अपने बारे में कुछ बताइए?
उत्तर: सुपर वुमनिया अवार्ड शो महिलाओं को आगे आने और प्रेरित होने का एक मंच है। मैं एफएम को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने हमें यह अवसर दिया। इससे हम महिलाओं को और भी ज्यादा काम करने की प्रेरणा मिलती है। मैं एक होटल व्यवसायी हूं, मेरे दो बच्चे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, और मेरे पति वकील हैं।
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प्रश्न: आप अपने व्यवसाय, परिवार और समाज सेवा के लिए समय कैसे निकालती हैं? आपको संतों की सेवा की प्रेरणा कहां से मिली, और आप उनके लिए क्या करती हैं?
उत्तर: समय प्रबंधन बहुत जरूरी है। यदि आप चाहें तो हर काम के लिए समय निकाल सकते हैं। मैं अपने व्यस्त जीवन में से समय निकालकर गौ सेवा और संतों की सेवा करती हूं। मुझे यह प्रेरणा अपने पति से मिली, जिन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया। मैं पत्रकार एवं समाजसेवी साधना सेठी जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगी, जिन्होंने मुझे समाज से जुड़ने और सेवा करने का मार्ग दिखाया। मैं बचपन से लोगों की मदद करती आ रही हूं, लेकिन पिछले कुछ सालों में मैं ज्यादा सक्रिय हो गई हूं। मुझे संतों की सेवा सबसे बड़ा सामाजिक कार्य लगता है। हम संतों की गौशाला में जाकर सेवा करते हैं, उन्हें घर बुलाकर भोजन कराते हैं, और हर संभव सहायता करते हैं।
प्रश्न: आप गौ सेवा किस प्रकार करती हैं, और यदि कोई आपसे जुड़ना चाहे तो क्या प्रक्रिया है?
उत्तर: हम नियमित रूप से गौशाला जाते हैं और यथासंभव आर्थिक सहयोग करते हैं। यदि कोई हमसे जुड़ना और सहयोग करना चाहता है, तो वह ऑनलाइन जुड़ सकता है। हमारी सभी गतिविधियां ऑनलाइन उपलब्ध हैं, और इसके लिए एक साधारण रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया है, जिसमें कुछ भी छुपा हुआ नहीं है।
प्रश्न: आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है, और व्यवसाय और संत सेवा में से यदि किसी एक को चुनना पड़े तो आप क्या चुनेंगी?
उत्तर: मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि संतों की सेवा में मिली आत्मिक शांति है। अपने गुरु से प्रेरणा पाकर मुझे जो सुकून मिला, वह बहुत खास है। मुझे ऐसा लगा जैसे मैं साक्षात भगवान से मिली। यदि मुझे कभी चुनना पड़े, तो मैं हमेशा संतों की सेवा को ही प्राथमिकता दूंगी।
प्रश्न: आप घर और काम को कैसे संतुलित करती हैं, और जब लोग आपसे प्रेरित होकर जुड़ते हैं तो आपको कैसा लगता है?
उत्तर: जब आप कुछ करने की ठान लेते हैं, तो समय निकल ही आता है। मुझे बहुत खुशी होती है जब लोग मुझसे प्रेरित होते हैं। मेरा उद्देश्य अपने सनातन धर्म का प्रचार करना है, और मैं अपना सारा समय गौ सेवा में लगाना चाहती हूं।
प्रश्न: आपको अपने काम में कभी कोई परेशानी आई? जो महिलाएं आगे बढ़ना चाहती हैं उनके लिए आपका क्या संदेश है?
उत्तर: मुझे कभी कोई परेशानी नहीं हुई। मेरे पति और बच्चे हमेशा मेरा साथ देते हैं। मेरे बड़े बेटे ने लम्पी बीमारी के दौरान भी गौ सेवा में बहुत योगदान दिया। मैं सभी महिलाओं से यही कहना चाहूंगी कि घर के कामों के साथ-साथ अपने लिए भी समय निकालें, अपनी ख्वाहिशों को पूरा करें, अपने सपनों को जिएं। यदि आप कुछ करना चाहते हैं, तो परिस्थितियां मायने नहीं रखतीं।