Amalaki Ekadashi 2024 date: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष 24 एकादशी आती हैं। लेकिन जब अधिक मास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आंवला को शास्त्रों में इस प्रकार श्रेष्ठ स्थान मिला हुआ है- जैसे की नदियों में गंगा को मिला है। आमलकी का अर्थ होता है आंवला। इसे आमला एकादशी भी कहते हैं। इस व्रत में आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में आंवला के पेड़ को पूजनीय माना गया है। पंडित दिनेश जोशी बताते हैं कि आंवले के पेड़ में देवता निवास करते हैं, इसलिए इसकी पूजा अर्चना करने से सुख—समृद्धि प्राप्ति होती है।
आमलकी एकादशी व्रत क्यों रखते हैं? (Amalaki Ekadashi 2024 Vrat)
मान्यता है कि भगवान विष्णु ने आंवले के पेड़ को सृष्टि के समय जन्म दिया था। आंवला को स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और उपवास किया जाता है। आमलकी एकादशी का व्रत करने से सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है।
आमलकी एकादशी 2024 में कब है, तिथि, मुहूर्त और महत्व (Amalaki Ekadashi 2024 kab hai)
साल 2024 में आमला की एकादशी 20 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन रात 12:21 पर आमलकी एकादशी शुरू होगी और 21 मार्च को सुबह 2 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में आमलकी एकादशी का व्रत 20 मार्च को पुष्प नक्षत्र में रखा जाएगा। आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा भी की जाती है। आमल की एकादशी फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है यह एकादशी महाशिवरात्रि और होली के बीच में आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी का काफी महत्व होता है और हर महीने में 2 एकादशी आती है।
आमला एकादशी का महत्व (Amalaki Ekadashi 2024 Significant)
मान्यता है कि आमला के वृक्ष की उत्पत्ति भगवान विष्णु से संबंधित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा जी को जन्म दिया। उसी समय उन्होंने आंवला के वृक्ष को भी जन्म दिया। इसका व्रत करने वालों के जन्म-जन्मांतर की सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं अगर जो लोग आमल की एकादशी का व्रत नहीं कर सकते हैं। वह उस दिन भगवान विष्णु को आंवला तो जरूर ही अर्पित करें। साथ ही स्वयं भी इसका सेवन करें।
इस दिन घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में दक्षिणावर्ती शंख से भगवान का अभिषेक करें। इसके लिए शंख में केसर मिश्रित दूध भरकर भगवान का अभिषेक करें पूजा में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप भी करें।