Chandra Grahan 2025: 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा की रात एक अद्वितीय खगोलीय घटना का गवाह बनने जा रहा है। इस दिन पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। यह 2025 में भारत में दिखाई देने वाला एकमात्र चंद्र ग्रहण है। इसके बाद, 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण होगा, लेकिन वह भारत में नजर नहीं आएगा। चंद्र ग्रहण 7 और 8 सितंबर की दरमियानी रात को होगा। इसकी शुरुआत 7 सितंबर की रात 9.56 बजे से होगी और यह 8 सितंबर की रात 1.26 बजे समाप्त होगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण एशिया, हिन्द महासागर, अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में भी देखा जा सकेगा।
शुभ मुहूर्त जानकारी (Shubh Muhurt Jankari)
तिथि शुरुआत – 07 सितंबर, रात 09:56 बजे
तिथि समाप्ति – 08 सितंबर, रात 01:26 बजे
यह भी जरूर पढ़ें...
Shukravar Puja Vidhi: शुक्रवार को मां लक्ष्मी और संतोषी माता की पूजा से पाएं धन-समृद्धि और सुख-शांति
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:02 बजे से 04:42 बजे तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:39 बजे से 03:35 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07:16 बजे से 07:36 बजे तक
निशिता काल – रात 12:00 बजे से 12:40 बजे तक
चंद्र ग्रहण का खगोलीय महत्व
चंद्र ग्रहण एक विशेष खगोलीय घटना है जो तब होती है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। इस स्थिति में, पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे चंद्रमा आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो यह चंद्रमा तक पहुंचने वाले सूर्य के प्रकाश को रोक देती है। इस स्थिति में, चंद्र पर पृथ्वी की छाया पड़ने लगती है और चंद्रमा लालिमा लिए हुए दिखाई देता है, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण के प्रकार
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं: पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण। पूर्ण चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की गहरी छाया में आ जाता है और लालिमा लिए दिखता है। आंशिक चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का कुछ हिस्सा ही पृथ्वी की छाया में आता है। उपछाया चंद्र ग्रहण में चंद्रमा केवल पृथ्वी की हल्की छाया में आता है, जिससे यह थोड़ा-सा धुंधला दिखता है।
ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू होता है। इस बार चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12.56 बजे से शुरू होगा और ग्रहण के समाप्त होने के साथ ही समाप्त होगा। सूतक के समय में भगवान की पूजा नहीं की जाती है, इसलिए मंदिरों के पट बंद रहते हैं। इस दौरान मंत्रों का मानसिक जप करना शुभ माना जाता है। मानसिक जप का अर्थ है मन ही मन मंत्रों का जप करना। इस समय में दान-पुण्य करना भी लाभकारी होता है। ग्रहण के बाद मंदिरों की सफाई की जाती है और फिर मंदिर के पट भक्तों के लिए खोले जाते हैं।
Want a Website like this?
Designed & Optimized by Naveen Parmuwal
Journalist | SEO | WordPress Expert