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Chinnamasta Jayanti 2024-कौन हैं मां छिन्नमस्ता? जानें कब और क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्तिका जयंती

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Monika Agarwal
By Monika Agarwal - Freelance Writer Religion Dharma
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Chinnamasta Jayanti 2024 : हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छिन्नमस्ता जयंती के रूप में मनाई जाती है। धार्मिक शास्त्रों में देवी छिन्नमस्ता के स्वरूप की कथा का वर्णन मिलता है। मां छिन्नमस्ता दस महाविद्याओं में से छठी देवी हैं, जिनको सर्व सिद्धि पूर्ण करने वाली अधिष्ठात्री कहा जाता है। शास्त्रों में छिन्नमस्ता देवी के प्रभावी मत्रों के बारे में भी उल्लेख मिलता है। इन मंत्रों के जाप से हर कार्य को सिद्ध किया जा सकता है। इस बार छिन्नमस्तिका जयंती 22 मई, 2024 (Vaishakha) को मनाई जाएगी। तो चलिए जानते हैं छिन्नमस्तिका जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा।

मां छिन्नमस्ता देवी की पूजा का महत्व

धार्मिक शास्त्रों में मां छिन्नमस्ता देवी की पूजा का महत्व बताया गया है। मां छिन्नमस्ता को देवी शक्ति का ही स्वरूप माना गया है। मां छिन्नमस्ता को भक्त छिन्नमस्तिका, चिंतपूर्णी के नाम से भी पुकारते हैं। मान्यता के अनुसार, वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मां छिन्नमस्ता का प्रादुर्भाव हुआ था। दस महाविद्याओं में से एक मां छिन्नमस्ता की पूजा से तंत्र मंत्र की सिद्धि भी प्राप्त होती है। मां छिन्नमस्ता की पूजा अर्चना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में सुख, संपदा बनी रहती है। भारत में मां छिन्नमस्ता का प्रमुख मंदिर झारखंड के रांची से करीब 80 किमी दूर रजरप्पा में स्थित है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में भी शामिल है, जो कि 6 हजार साल से अधिक पुराना बताया जाता है।

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शास्त्रों में उल्लेख है कि देवी छिन्नमस्ता की पूजा तंत्र साधना के लिए की जाती है। ऐसे में छिन्नमस्ता जयंती पर मां देवी के मंत्रों का जाप करना बेहद प्रभावकारी होता है। इस दिन पूजा अर्चना के साथ इन मंत्रों का विधिवत जाप करना चाहिए। देवी मां से मनचाहा वरदान प्राप्त करने के लिए ‘ॐ हूं ॐ’ अथवा ‘ॐ वैरोचन्ये विद्महे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्’ मंत्र का जाप करना चाहिए।

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Monika Agarwal
Freelance Writer
Freelance Writer at FM Sikar.
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