Leti Murti -आज तक आपने जब भी हनुमान जी को देखा होगा तब तब उन्हें विशाल रूप में और बलशालियों की तरह खड़ी हुई मुद्रा में ही देखा होगा। क्या आपने कभी हनुमान जी की प्रतिमा को लेटी हुई मुद्रा में देखा है? शायद नहीं। तो आज हम आप को एक ऐसी हनुमान जी की प्रतिमा के बारे में बताने वाले हैं जहां यह प्रतिमा लेटी हुई मुद्रा में है। यह मूर्ति ही इस मंदिर के इतने अधिक प्रसिद्ध होने का कारण बनी हुई है। यह एकमात्र हनुमान जी की ऐसी मूर्ति है जो इस मुद्रा में है। साथ ही इनको स्नान भी गंगा जी करवाती हैं। आइए जानते हैं इस मूर्ति के बारे में।
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जब लंका में विजय प्राप्त करने के बाद हनुमान जी इस स्थान से गुजर रहे थे तो उन्हें काफी ज्यादा थकान महसूस होने लगी थी। तब माता सीता के कहने पर उन्होंने इस जगह विश्राम किया था। इसलिए ही यहां लेटे हुए या विश्राम करते हुए हनुमान जी की प्रतिमा बनाई गई है।
एक अन्य कथा के अनुसार एक धनी व्यापारी हनुमान जी की मूर्ति को लेकर कहीं जा रहा था तभी उसकी नाव संगम के तट पर पहुंची और हनुमान जी की मूर्ति यहां गिर गई। व्यापारी ने मूर्ति को उठाने की काफी कोशिश की लेकिन नहीं उठा पाया। रात को व्यापारी के सपने में हनुमान जी आए और कहा की वह इसी संगम पर रहना चाहते हैं। तब व्यापारी ने मूर्ति को यहीं छोड़ दिया।
इस मूर्ति को किले वाले हनुमान जी, लेटे हनुमान जी या बांध वाले हनुमान जी के नाम से जाना जाता है। यह मूर्ति प्रयागराज में स्थित है। मंगलवार और शनिवार के दिन इस मूर्ति वाले मंदिर में काफी ज्यादा भीड़ उमड़ती है। आप भी अगर संगम के दर्शन करने जाते हैं तो इस मूर्ति के दर्शन भी जरूर करके आने चाहिए तब ही आपकी यात्रा पूरी तरह से सफल मानी जाती है।
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