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Sawan Putrada Ekadashi 2025: कब है श्रावण पुत्रदा एकादशी? पुत्र प्राप्ति का शुभ योग, क्या है व्रत की विधि

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Sawan Putrada Ekadashi: श्रावण मास की एकादशी संतान सुख के लिए फलदायक मानी जाती है।

Bharti Sharma
Written by: Bharti Sharma - Sub Editor
3 Min Read

Sawan Putrada Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले विवाहित दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायक माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु का व्रत और पूजन करने से संतान सुख, पारिवारिक समृद्धि और आत्मिक शुद्धि की प्राप्ति होती है।

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श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025 की तिथि और मुहूर्त

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: सोमवार, 4 अगस्त 2025 को दोपहर 11:41 बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त: मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को दोपहर 01:12 बजे

  • व्रत का दिन: मंगलवार, 5 अगस्त 2025

  • व्रत पारण (उपवास समाप्ति): बुधवार, 6 अगस्त 2025

  • पारण मुहूर्त: सुबह 06:09 से 08:43 बजे तक

व्रत का महत्व और धार्मिक मान्यता

‘पुत्रदा’ शब्द का अर्थ होता है – संतान प्रदान करने वाला। यह व्रत केवल संतान प्राप्ति के लिए ही नहीं, बल्कि पापों के नाश, मोक्ष की प्राप्ति और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए भी किया जाता है। विशेष रूप से उत्तर भारत में इस व्रत का पालन श्रद्धा और भक्ति से किया जाता है।

व्रत की विधि और पूजन परंपरा

  1. प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके व्रत का संकल्प लें।

  2. भगवान विष्णु की पूजा तुलसी पत्र, दीप, चंदन, पुष्प और नैवेद्य से करें।

  3. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।

  4. विष्णु सहस्रनाम या श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।

  5. रातभर जागरण करें, भजन-कीर्तन और नामस्मरण करें।

  6. अगले दिन पारण मुहूर्त में व्रत खोलें और ब्राह्मणों या ज़रूरतमंदों को अन्नदान करें।

व्रत के आहार नियम

क्या खा सकते हैं:

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  • फल, दूध, दही

  • साबूदाना, सिंघाड़ा या कुट्टू का आटा

  • सेंधा नमक, सूखे मेवे

क्या नहीं खाएं:

  • अनाज, दालें

  • प्याज, लहसुन

  • तामसिक व मांसाहारी भोजन

  • सामान्य नमक

पौराणिक कथा

भविष्य पुराण के अनुसार, माहिष्मती नगरी के राजा महीजित संतानहीन थे। ऋषियों की सलाह पर उन्होंने श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा से किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें एक गुणवान पुत्र का वरदान दिया। यह कथा दर्शाती है कि श्रद्धा, संयम और भक्ति से भाग्य को भी बदला जा सकता है।

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“एकादशी व्रतं शुभं मम जीवनं पुत्रसमृद्धिं च ददातु विष्णो:”
अर्थ: यह व्रत मेरे जीवन में शुभता, संतान सुख और भगवान विष्णु की कृपा लाए।

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Bharti Sharma
Sub Editor
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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।

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