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Pitru Paksha: विभिन्न पुराणों में श्राद्ध का विशेष महत्व, जो पितरों की आत्मा की शांति और परिवार की समृद्धि का प्रतीक है

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श्राद्ध पक्ष और पुराणों का महत्व: श्राद्ध पक्ष, जिसे पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का विशेष समय होता है। यह भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर अश्विन महीने की अमावस्या तक चलता है। पुराणों में श्राद्ध पक्ष की विस्तृत व्याख्या मिलती है, जिससे पूर्वजों की तृप्ति और उनके आशीर्वाद प्राप्त होने का उल्लेख है।

Bharti Sharma
Written by: Bharti Sharma - Sub Editor

श्राद्ध पक्ष और पुराणों का महत्व: श्राद्ध पक्ष, जिसे पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का विशेष समय होता है। यह भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर अश्विन महीने की अमावस्या तक चलता है। पुराणों में श्राद्ध पक्ष की विस्तृत व्याख्या मिलती है, जिससे पूर्वजों की तृप्ति और उनके आशीर्वाद प्राप्त होने का उल्लेख है।

  • गरुड़ पुराण: पुराण में मृत्यु और पितृ तर्पण के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि श्राद्ध के समय ब्राह्मणों को भोजन कराने और तर्पण अर्पित करने से पितरों को संतोष प्राप्त होता है।
    श्राद्ध कर्म से पितर संतुष्ट होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
    गरुड़ पुराण के अनुसार, इस प्रक्रिया से पितर पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पा सकते हैं।
  • विष्णु पुराण: पितृ तर्पण और मंत्रों की महत्ता
    विष्णु पुराण में श्राद्ध और तर्पण की प्रक्रिया पर जोर दिया गया है। इसमें विशेष मंत्रों और जल तर्पण के माध्यम से पितरों को प्रसन्न करने की विधियां बताई गई हैं।
    श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
    विष्णु पुराण के अनुसार, दान और विधिपूर्वक तर्पण करना अत्यंत लाभकारी है।
  • महाभारत: अनुशासन पर्व में श्राद्ध की महत्ता
    महाभारत के अनुशासन पर्व में भी श्राद्ध का महत्व दर्शाया गया है। इसके अनुसार, श्राद्ध करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
    श्राद्ध करने वाला व्यक्ति दीर्घायु, समृद्धि, और संतोष का अनुभव करता है।
  • मनुस्मृति: श्राद्ध का धार्मिक दृष्टिकोण
    मनुस्मृति में भी श्राद्ध कर्म का वर्णन है। इसमें पितरों के प्रति श्रद्धा भाव से किया गया तर्पण अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।
    पितर श्राद्ध से प्रसन्न होते हैं और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
  • ब्रह्म पुराण: दान और तर्पण की शक्ति
    ब्रह्म पुराण में श्राद्ध पक्ष के दौरान दान, भोजन, और तर्पण की महत्ता बताई गई है। इसमें कहा गया है कि श्राद्ध के समय गाय, भूमि, अन्न, और वस्त्र का दान करने से व्यक्ति के जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।

श्राद्ध कर्म से पितरों की आत्मा को संतोष प्राप्त होता है और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है।
इस प्रकार, विभिन्न पुराणों में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है, जो पितरों की आत्मा की शांति और परिवार की समृद्धि का प्रतीक है।

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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।
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