Jyeshtha Amavasya-जेष्ठ महीने की 30वी तिथि को जेष्ठ अमावस्या कहा जाता है। हर महीने में अमावस्या आती है और इस तिथि का हिंदू धर्म में एक विशेष महत्त्व है। यह तिथि हमारे पूर्वजों को समर्पित होती है और इसमें पितरों की पूजा की जाती है। इस अमावस्या को दर्श्य अमावस्या और भावुक अमावस्या भी कहा जाता है। इस अमावस्या को चंद्रमा की शक्तियां थोड़ी कमजोर हो जाएंगी और इसलिए ही अमावस्या की रात काली होती है क्योंकि इसमें चांद की रोशनी न के बराबर होती है। आइए जान लेते हैं इस महीने की अमावस्या की तिथि और मुहूर्त के बारे में।
Jyeshtha Amavasya तिथि
जून के महीने में जेष्ठ अमावस्या मनाई जाती है। इस महीने की 6 तारीख को यह अमावस्या मनाई जाएगी। इस रात चंद्रमा का प्रकाश नहीं दिखता है इसलिए इस रात को काली रात बोला जाता है और नकारात्मक शक्तियां इस रात काफी हावी होती हैं इसलिए तंत्र साधना और पूजा विधि इस रात में की जाती हैं।
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स्नान और दान पुण्य करने का महत्त्व
ऐसा माना जाता है की इस अमावस्या पर आप को स्नान और दान पुण्य जरूर करना चाहिए। आप गंगा जैसी किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। इससे आपके जीवन में जो भी नकारात्मकता होती है वह खत्म होने लगेगी। ऐसा करने से आप मानसिक रूप से मजबूत होंगे और आपके विचारों में स्पष्टता आएगी। ऐसा करने से आपका शरीर हेल्दी बनेगा और बुरी शक्तियां भी आपसे दूर रहेंगी। इस दिन आपको मीट मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन आप को न तो कोई नई वास्तु खरीदनी चाहिए और न ही किसी से पैसे उधार लेने चाहिए। ब्राम्हणों को भोजन करवाना इस दिन काफी पुण्य का काम माना जाता है।
इस दिन आप अपने पितरों के स्थान पर दान और पुण्य जैसे काम जरूर करें। गाय, कुत्तों और कौओं को खाना खिलाना बेहद ही शुभ माना जाता है। इस दिन पीपल और बड़ के पेड़ की पूजा की जाती है। पीपल के पेड़ के चारों ओर धागा बांध सकते हैं और उसे दूध अर्पित कर सकते हैं।
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