Cough Syrup News 2025: मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप को लेकर मचा हड़कंप अब शांत हो गया है। 11 बच्चों की मौत के बाद शक की सुई इन सिरप की तरफ गई थी, लेकिन अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि इन सिरप में कोई हानिकारक केमिकल नहीं मिला है।
जांच में क्या हुआ खुलासा
दोनों राज्यों से लिए गए कफ सिरप के नमूनों में किसी भी तरह का डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEEG) या एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) नहीं पाया गया है। ये रसायन पहले भी बच्चों की मौतों से जुड़े रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय विशेषज्ञ टीम ने नमूनों की गहन जांच की और कोई संदूषण नहीं पाया। हालांकि, जिन बच्चों की मौत हुई, उनकी उम्र 1 से 7 साल के बीच थी और उनमें गुर्दे के संक्रमण के लक्षण थे।
जांच दलों का निष्कर्ष
केंद्र सरकार ने तुरंत ही राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की टीमों को जांच के लिए भेजा। राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने भी नमूनों की स्वतंत्र जांच की और DEEG या EG की अनुपस्थिति की पुष्टि की। NIV पुणे ने मृतकों के रक्त और CSF नमूनों की जांच की, जिसमें एक मामले में लेप्टोस्पायरोसिस पॉजिटिव पाया गया। अन्य कारणों की जांच अभी जारी है ताकि मौतों का सही कारण पता चल सके।
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बच्चों के लिए एडवाइजरी जारी
राजस्थान में जांच से यह पता चला कि संदिग्ध कफ सिरप में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नहीं था और यह सिरप डेक्सट्रोमेथॉर्फन-आधारित था, जो बच्चों के लिए अनुशंसित नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि छोटे बच्चों में खांसी अपने आप ठीक हो जाती है और दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं देना चाहिए। बड़े बच्चों के लिए भी सिरप का उपयोग सावधानी से करने की सलाह दी गई है। जलयोजन और आराम जैसे प्राकृतिक उपाय अधिक सुरक्षित हैं। राज्यों को निर्देश दिया गया है कि इन दिशानिर्देशों का प्रचार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में किया जाए ताकि लोगों को सही जानकारी मिल सके।
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