World Happiness Index 2024: खबर की हेडिंग पढ़कर शायद यकीन नहीं होता होगा, लेकिन बदहाली में जी रहे पाकिस्तान के लोग हमारे से अधिक खुश रहे हैं। यह दावा हम नहीं, बल्कि हाल ही में जारी हुई वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट कर रही है। जिसमें भारत की रैंकिंग संतोषजनक नहीं है। इस रिपोर्ट में भारत को पाकिस्तान से भी कम खुशहाली के तौर पर आंका गया है। यहां तक कि चीन, नेपाल, श्रीलंका जैसे देश भी खुशहाली के मामले में बेहतर हैं। हालांकि, भारत इस रैंकिंग रिपोर्ट को अर्थहीन बताता है। इसके पीछे भारत के कुछ अपने तर्क हैं। यदि इस रिपोर्ट का विस्तृत अध्ययन करें तो पता चलेगा कि यूएस, जर्मनी की रैंकिंग में भी कुछ गिरावट नजर आई है। आइये जानते हैं कि यह इंडेक्स कौन जारी करता है? दुनिया के देशों में इसकी रैंकिंग क्या है? भारत द्वारा इस रैंकिंग को मानने से मना करने के पीछे क्या तर्क दिए गए हैं?
कौन जारी करता है वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स? (Who releases World Happiness Index?)
संयुक्त राष्ट्र विकास समाधान नेटवर्क द्वारा वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स जारी की जाती है। वर्ष 2012 से प्रतिवर्ष 20 मार्च को वैश्विक खुशहाली सूचकांक जारी किया जाता है जो दुनिया के देशों को उनकी खुशहाली के आधार पर रैंकिंग देती है। यह संस्था एक फार्मूले का प्रयोग करती है जिसमें कुछ कारकों को शामिल किया जाता है।
किन कारकों पर निर्भर करती है हैप्पीनेस इंडेक्स?
संयुक्त राष्ट्र विकास समाधान नेटवर्क द्वारा जारी यह सूचकांक 6 कारकों पर निर्भर करता है, जो निम्न प्रकार है-
1. प्रति व्यक्ति आय।
2. सकल घरेलू उत्पाद।
3. स्वस्थ,जीवन प्रत्याशा।
4. किसी अन्य व्यक्ति पर विश्वास करने की क्षमता ।
5. अपने जीवन के विकल्प स्वयं चुनने की स्वतंत्रता।
6. उदारता भ्रष्टाचार से मुक्ति।
World happiness index 2024 में दुनिया के टॉप 10 देश- (World happiness index 2024 Top Countries)
फिनलैंड, डेनमार्क ,आइसलैंड स्वीडन, इजराइल, नीदरलैंड, नॉर्वे, लक्जमबर्ग, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया।
वहीं, दुनिया में सबसे खराब परफॉर्मेंस देने वाला देश अफगानिस्तान है, जो वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स 2024 की रैंकिंग में सबसे अंतिम पायदान पर हैं।
वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स 2024 में एशिया के टॉप 10 देश
सिंगापुर, ताइवान, जापान, साउथ कोरिया, फिलीपींस, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, चीन, मंगोलिया।
वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स 2024 में भारत व उसके पड़ोसी देशों की रैंकिंग
- भारत की रैंक 126
- चीन की रैंक 60
- नेपाल की रैंक 93
- पाकिस्तान की रैंक 108
- म्यांमार की रैंक 118
- श्रीलंका की रैंक 128
- बांग्लादेश की रैंक 129
भारत द्वारा इस रैंकिंग को नहीं मानने के पीछे तर्क?
भारत वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स की इस रैंकिंग को मानने से इनकार करता है। इसके पीछे कुछ तर्क दिए हैं, जो निम्न प्रकार हैं-
-खुशहाली या खुशी एक बहु आयामी अवधारणा है इसे जिन पैमानों पर मापा जाता है, वह सार्वभौमिक नहीं हो सकते हैं।
-खुशहाली एक वस्तुनिष्ठ अवधारणा है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए खुशी के आयाम अलग-अलग हो सकते हैं जो व्यक्ति के विचारधारा पर निर्भर करते हैं।
-दुनिया में सुखवाद और खुशी की अलग-अलग अवधारणा उपस्थित हैं, आवश्यक नहीं है कि सभी व्यक्तियों के लिए खुशी के पैमाने एक ही हो।
-आय व शिक्षा के आधार पर किसी व्यक्ति की खुशी नहीं मापी जा सकती।
– किसी वस्तुनिष्ठ अवधारणा को किसी फार्मूला अथवा गणितीय विधि से ज्ञात करना तक संगत नहीं है।
भारत द्वारा वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स की रैंकिंग को स्वीकार नहीं करने की पीछे पड़ोसी देशों की रैंकिंग बेहतर होना भी है। पाकिस्तान जैसा देश जहां आर्थिक, राजनीतिक क्राइसिस चल रहा है, वह देश भारत से खुशहाली के मामले में बेहतर कैसे हो सकता है। पाकिस्तान जैसा देश जहां संसाधनों की कमी है, महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर हैं भारत से बेहतर नहीं हो सकता। अतः भारत द्वारा वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स की इस रैंकिंग को मारने से मना किया है तथा प्रयोग में लिए गए कारक अतार्किक बताए गए हैं।