Chandipura Virus: चांदीपुरा वायरस को लेकर राजस्थान में खौफ है। अबतक चांदीपुरा वायरस ने चार बच्चों की जान ले ली है। आइए जानते हैं कि क्या होता है Chandipura Virus और चांदीपुरा वायरस के लक्षण की पहचान कैसे कर सकते हैं?
जानकारी के मुताबिक, उदयपुर के खेरवाड़ा के बावलवाड़ा व नयागांव में चांदीपुरा वायरस की बात सामने आई है। यहां के दो मरीजों की पहचान की गई है जिनका इलाज गुजरात में चल रहा था। बता दें, इनमें से एक बच्चे की 27 जून को मौत हो गई थी। अबतक कुल चार के मौत की बात कही जा रही है।
कितने साल के उम्र बच्चों में फैलता है चांदीपुरा वायरस?
जानकारी के मुताबिक, यह वायरस 15 साल से छोटी उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाता है। इस दौरान 15 साल तक के बच्चों का खास ख्याल रखना जरूरी है। चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है। यह वायरस सबसे अधिक मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से ही फैलता है। साथ ही मच्छर में एडीज ही इसके पीछे ज्यादातर जिम्मेदार है।
चांदीपुरा वायरस कहां अटैक करता है?
डॉक्टरों का कहना है कि यह वायरस सीधा बच्चों के मस्तिष्क पर अटैक करता है। पहले सामान्य वायरस की तरह बुखार जैसे लक्षण सामने आते हैं। बाद में अचानक बच्चे कोमा में चले जाते हैं।
चांदीपुरा वायरस से कैसे करें बचाव?
इस वायरस से बचाव के लिए आप अपने बच्चे को संक्रमित बच्चों से दूर रखें। अगर किसी छोटे बच्चे को बुखार जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो उसे तुरंत पास के अस्पताल में लेकर जाएं। साथ ही इलाज को लेकर देरी ना करें इससे बच्चे की जान जा सकती है। इससे बचने के लिए समय पर इलाज बहुत जरूरी है।
क्यों कहते हैं इसे चांदीपुरा वायरस?
चांदीपुरा वायरस का नाम महाराष्ट्र के एक गांव पर है जहां पर पहली बार इस वायरस की पहचान की गई थी। वर्ष 1966 में महाराष्ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में चांदीपुरा वायरस की पहचान की गई थी।
डिस्क्लेमर- चांदीपुरा वायरस के लक्षण और बचाव की जानकारी सामान्य जागरूकता के लिए है। ये जानकारी अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर लिखी गई है। एफएम सीकर इसकी पुष्टि नहीं करता है। आप इसकी पूरी जानकारी के लिए संबंधित डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।