Chandipura Virus: राजस्थान में चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus In Rajasthan) का खतरा दिख रहा है। उदयपुर के दो गांवों में चांदीपुरा वायरस को लेकर खौफ है। इस वायरस के कारण एक बच्चे की मौत भी हो गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उदयपुर के खेरवाड़ा के बावलवाड़ा व नयागांव में चांदीपुरा वायरस की बात सामने आई है। यहां के दो मरीजों की पहचान की गई है जिनका इलाज गुजरात में चल रहा था। बता दें, इनमें से एक बच्चे की 27 जून को मौत हो गई थी।
उदयपुर के घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है
इस घटना की जानकारी सामने आने के बाद उदयपुर के चिकित्सा विभाग ने तत्परता से गावों में जाकर सैम्पल लेना शुरू कर दिया है। इस वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए आसपास के बच्चों में न फैले, इसको लेकर एंट्री लार्वा एक्टिविटी जारी है। सीएमएचओ डॉ शंकर बामनिया ने बताया कि दोनों इलाके खेरवाड़ा और नयागांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सोमवार को सर्वे कराया है।
बच्चों में मिले चांदीपुरा वायरस के लक्षण
चिकित्सा विभाग के डिप्टी सीएमएचओ अंकित जैन ने जानकारी दी है कि उदयपुर जिले के खेरवाड़ा और नयागांव के दो बच्चों में चांदीपुरा वायरस के लक्षण मिले थे। इन दोनों संक्रमित बच्चों को गुजरात के हिम्मतनगर के सिविल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। दोनों ही बच्चों के ब्लड और सीरम के सैंपल पुणे भिजवाए गए हैं।
साथ ही इस मामले को लेकर डिप्टी सीएमएचओ ने बताया है कि खेरवाड़ा के बलीचा गांव में एक बच्चे को अचानक से दौरा आने पर उसे नजदीक के भीलूड़ा सीएचसी ले जाया गया, जहां से हिम्मतनगर सिविल हॉस्पिटल रेफर किया गया। वहां इलाज के दौरान दूसरे दिन उसकी मौत हो गई।
दूसरा केस बावलवाड़ा गांव की बच्ची का है। बच्ची को 5 जुलाई को उल्टी-दस्त, बुखार की शिकायत थी। उसे हिम्मतनगर (गुजरात) रेफर किया गया। उसका आईसीयू में इलाज चल रहा था। अब उसे नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट किया गया। वह बच्ची अब स्वस्थ बताई जा रही है।
मेडिकल टीम तैनात
इन दोनों गांवों के 35 घरों के सर्वे में जांच करवाई गई है। फिलहाल सर्वे जारी है और स्पेशल ड्यूटी लगाकर मेडिकल टीमें गुजरात से सटे कोटड़ा, खेरवाड़ा और नयागांव इलाके में तैनात की गई है।
1966 में चांदीपुरा वायरस की पहचान
वर्ष 1966 में महाराष्ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में चांदीपुरा वायरस की पहचान की गई थी। चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है। यह वायरस सबसे अधिक मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से ही फैलता है। साथ ही मच्छर में एडीज ही इसके पीछे ज्यादातर जिम्मेदार है। 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा इस वायरस के गिरफ्त में आते हैं।