Interview: तय्यबा, एक महिला सशक्तिकरण की मिसाल, जिन्होंने अपनी जीवन यात्रा में कई कठिनाइयों का सामना करते हुए समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। उनकी कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें सुपर वुमानिया अवार्ड से नवाजा गया, जो उनके सामाजिक कार्यों और महिलाओं की मदद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। तय्यबा ने हमेशा अपने कार्यों में समाज के पिछड़े वर्ग, खासकर महिलाओं और बच्चों, के उत्थान की दिशा में काम किया है। आरजे रुपाली कुमावत ने तय्यबा से उनके प्रेरणादायक अनुभवों के बारे में बातचीत की।
प्रश्न 1: जब आपको सुपर वुमानिया अवार्ड दिया गया, तो आपकी क्या भावनाएं थीं?
उत्तर: जब मुझे यह अवार्ड मिला, तो मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। यह मेरे लिए अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण था।
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प्रश्न 2: आपकी उम्र की लड़कियां करियर के बारे में सोचती हैं, आपने समाज सेवा को क्यों चुना?
उत्तर: मेरे स्कूल और कॉलेज के दिनों के अनुभवों ने मुझे इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया। मैंने समाज में महिलाओं की मुश्किलों को करीब से देखा और महसूस किया कि मैं उनके लिए कुछ कर सकती हूँ। मैंने देखा कि पहले लड़कियों को सिर्फ 12वीं तक पढ़ाया जाता था, फिर उनसे घर के काम करवाए जाते थे और उनकी शादी कर दी जाती थी। लेकिन अब समाज बदल रहा है, और यह बदलाव मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैं चाहती हूँ कि हर लड़की अपने सपनों को पूरा कर सके, और मैं इस बदलाव में अपना योगदान देना चाहती हूँ।
प्रश्न 3: उदय सेवा संस्थान में महिलाओं और बच्चों के लिए क्या काम किया जाता है?
उत्तर: मैं 2021 से उदय सेवा संस्थान से जुड़ी हुई हूँ। हम महिला सशक्तिकरण, महिला उत्थान, स्वरोजगार और उनकी सुरक्षा पर काम करते हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य उन महिलाओं और बच्चियों की मदद करना है जिनके पास शिक्षा या रोजगार के साधन नहीं हैं। हम उन्हें शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और समाज में अपना योगदान दे सकें।
प्रश्न 4: इस संस्थान से जुड़ने के बाद आपने अपने अंदर क्या बदलाव महसूस किया?
उत्तर: पहले मेरा जीवन सिर्फ स्कूल और कॉलेज तक ही सीमित था। लेकिन अब मुझे फील्ड वर्क करने, अलग-अलग लोगों से मिलने और नई-नई चीजें सीखने का मौका मिलता है। कई बार ऐसे हालात भी आते हैं जो हमारे सिद्धांतों के विपरीत होते हैं, लेकिन मैंने धैर्य रखना और आगे बढ़ना सीखा है। यह अनुभव मेरे लिए बहुत मूल्यवान है और इसने मुझे एक बेहतर इंसान बनाया है।
प्रश्न 5: जब आपने यह एनजीओ ज्वाइन किया, तो आपके मन में क्या विचार थे और आपका उद्देश्य क्या था?
उत्तर: मेरा मुख्य उद्देश्य यही था कि मैं अपने जैसी लड़कियों की मदद कर सकूँ, जो पढ़ना चाहती हैं और अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं। मैं चाहती थी कि उन्हें भी वैसे ही अवसर मिलें जैसे मुझे मिले हैं। मैं चाहती थी कि वे अपने जीवन में आगे बढ़ें और समाज में अपना नाम रोशन करें।
प्रश्न 6: आज के समाज और 10 साल पहले के समाज में क्या बदलाव आया है?
उत्तर: पहले हमारा समाज पूरी तरह से पुरुष प्रधान था, लेकिन अब इसमें थोड़ा बदलाव आया है। महिलाओं को अब अधिक अवसर मिल रहे हैं और वे हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाया जाएगा और एक दिन हम एक ऐसे समाज में रहेंगे जहाँ महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार होंगे।
प्रश्न 7: क्या आपको अपने काम के लिए नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं?
उत्तर: हाँ, शुरुआत में मेरे परिवार को भी मेरा काम पसंद नहीं था। मुझे घर से बाहर जाने और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने के लिए कई बार रोका गया। लेकिन मैंने अपने परिवार और समाज की बाधाओं से लड़कर आगे बढ़ने का फैसला किया था। मुझे पता था कि मैं सही काम कर रही हूँ और मैं अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्पित थी।
प्रश्न 8: अगर कोई आपसे जुड़ना चाहता है या आपकी संस्था से मदद लेना चाहता है, तो वह कैसे संपर्क कर सकता है?
उत्तर: हमारा ऑफिस फतेहपुर रोड, दीन मोहम्मद द्वार के पास स्थित है। आप हमसे यूट्यूब (Uday Sewa Sansthan Sikar), फेसबुक, इंस्टाग्राम और ईमेल (Udaysewasansthansikar@gmail.com) के माध्यम से भी संपर्क कर सकते हैं।
प्रश्न 9: आप समाज की बच्चियों से क्या उम्मीद रखती हैं?
उत्तर: मैं चाहती हूँ कि हर बच्ची अपने सपनों को पूरा करे। मैं चाहती हूँ कि वे अपने माता-पिता पर गर्व करें और अपने समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान दें। मैं चाहती हूँ कि वे कभी हार न मानें और हमेशा अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर रहें।
प्रश्न 10: उन महिलाओं और बच्चियों के लिए आपका क्या संदेश है जो अपनी परिस्थितियों से हार मान लेती हैं?
उत्तर: परिस्थितियां कभी भी हमारे अनुकूल नहीं होतीं, लेकिन उनसे लड़ना हमारी पहली जिम्मेदारी है। जब आप संघर्ष करेंगे, तभी आप अपने सपनों को साकार कर पाएंगे। हार मानना कोई विकल्प नहीं है। अपने सपनों के लिए लड़ें और कभी भी उम्मीद न छोड़ें।