Ad image
°C | °F
📍 Detect Location
Loading weather...
Powered By FM Sikar

सीकर का महाभारत काल का गांव, जहां प्रकट हुए थे कृष्ण, आज भी हैं वहां कदम्ब के पेड़ | Kadmaa Ka Bas

°C | °F
📍 Detect Location
Loading weather...
Powered By FM Sikar

Kadmaa Ka Bas: आज जन्माष्टमी है। भगवान कृष्ण के जन्मदिन पर हम जानेंगे कि सीकर के किस गांव में श्री कृष्ण प्रकट हुए थे। साथ ही कृष्ण भगवान के कदम्ब का पेड़ भी वहां है।

Ravi Kumar
Written by: Ravi Kumar - News Editor (Consultant)
3 Min Read

Kadmaa Ka Bas: आज जन्माष्टमी है। भगवान कृष्ण के जन्मदिन पर हम जानेंगे कि सीकर के किस गांव में श्री कृष्ण प्रकट हुए थे। साथ ही कृष्ण भगवान के कदम्ब का पेड़ भी वहां है।

Advertisements

वैसे तो हम जानते हैं कि सीकर का धार्मिक इतिहास भी रहा है। यहां पर कई पौराणिक मंदिर भी हैं। उन्हीं में से एक गांव ऐसा भी है जहां पर भगवान कृष्ण के प्रकट होने की बात कही जाती है। ऐसा मानना है कि कदम्ब के पेड़ पर श्री कृष्ण की देन हैं। इसलिए ये जगह आज भी पूजनीय है।

सीकर का गांव जहां प्रकट हुए थे श्री कृष्ण

सीकर के जिस गांव की बात हम कर रहे हैं वो है- कदमा का बास। ये वही गांव है जहां पर श्री कृष्ण प्रकट हुए थे। इस बात जिक्र यहां के स्थानीय लोग करते हैं। राजस्थान में इस गांव को लेकर आस्था है। साथ ही भगवान के भक्त इस गांव में एक बार जरूर आते हैं।

Advertisements

यह भी जरूर पढ़ें...

कदमा का बास गांव का महाभारत काल से रिश्ता

Kadmaa Ka Bas Sikar Village

कदमा का बास गांव मुख्य शहर से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। श्री कृष्ण के साक्षात प्रगट होने की मान्यता है। जिसका गवाह गांव का नाम व यहां मौजूद कदम्ब के पेड़ व तालाब बताए जाते हैं।

Advertisements

कई जानकार कहते हैं कि महाभारत काल में अकाल पड़ने पर कर्दम ऋषि ने इस गांव में तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने उन्हें यहीं दर्शन दिए। भगवान के कदम इस धरती पर पड़ते ही इसका नाम “कदमा का बास” गांव पड़ गया।

श्री कृष्ण के सात कदम के साथ उगे थे ये पेड़

रघुनाथ व राधा- कृष्ण मंदिर के महंत श्रीराम शर्मा ने राजस्थान पत्रिका को बताया था कि भगवान यहां सात कदम चले थे। जहां पर कदम पड़े कदम्ब के पेड़ उग आए। हालांकि, एक पेड़ लुप्त हो गया लेकिन अभी भी 6 पेड़ तालाब के किनारे हैं। कदमा का बास गांव का उल्लेख हर्ष शिलालेख में भी है। जिसमें कर्दमखत नाम से इसे राजा वत्स द्वारा दान किया गया था।

Advertisements

Read This- दुनिया का ये पहला और इकलौता मंदिर है राजस्थान में, क्या आप घूमने गए हैं यहां, जानिए क्या है मंदिर का इतिहास

कदमा का बास गांव में लगता है मेला

कदमा का बास गांव की मान्यता तीर्थ स्थल के रूप में है। जहां हर साल भाद्रपद अमावस्या को मेले का भी आयोजन होता है। जिसमें हजारों लोग दूर दराज से भी पहुंचकर तालाब में स्नान करते हैं, कदंब के पेड़ की पूजा करते हैं और मंदिर में भगवान के दर्शन करते हैं।

डिस्क्लेमर- यह स्टोरी अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर लिखी गई है। धार्मिक जानकारों की इसमें आस्था है। इसके तथ्यों की पुष्टि FM Sikar नहीं करता है।

Want a Website like this?

Designed & Optimized by Naveen Parmuwal
Journalist | SEO | WordPress Expert

Contact Me
हमें फॉलो करें
Share This Article
News in Image Share Link