Brahmaji Mandir Pushkar: राजस्थान में कई पौराणिक मंदिर हैं। मगर एक मंदिर ऐसा है जो करीब 2 हजार साल पुराना है। साथ ही ये मंदिर इकलौता है। इस मंदिर से एक श्राप भी जुड़ा है। ब्रह्माजी मंदिर पुष्कर का इतिहास (Brahmaji Mandir Pushkar History) बेहद दिलचस्प है।
देश में इकलौता ब्रह्माजी का मंदिर है ये
राजस्थान के पुष्कर में बना भगवान ब्रह्मा का मंदिर पहला और इकलौता है। अपनी ऐतिहासिक पहचान और अनोखेपन के लिए इस मंदिर को देखने दुनिया भर से लोग आते हैं। आपको दुनिया का पहला ब्रह्माजी का मंदिर देखना चाहिए।
सरस्वती ने ब्रह्मा जी को दिया था श्राप
हिन्दू धर्मग्रन्थ पद्म पुराण के मुताबिक धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने आतंक मचा रखा था। चारों तरफ त्राहिमाम मचा था। जब ब्रह्मा जी ने उस राक्षस का वध किया तो उनके हाथों से तीन जगहों पर पुष्प गिरे, और इन तीनों जगहों पर तीन झीलें बहने लगीं। इसी घटना के बाद इस स्थान का नाम भी पुष्कर पड़ा।
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ब्रह्माजी ने गुर्जर समुदाय की कन्या से की शादी
इस घटना के बाद ब्रह्माजी ने यज्ञ करने का निर्णय लिया लेकिन पूर्णाहुति के लिए उनके साथ उनकी पत्नी सरस्वती का होना जरूरी था, लेकिन उनके न मिलने की वजह से उन्होंने गुर्जर समुदाय की एक कन्या ‘गायत्री’ से शादी करके इस यज्ञ को पूर्ण किया।
इसलिए नहीं होती है ब्रह्माजी की पूजा?
तभी उस वक्त देवी सरस्वती वहां पहुंची। इसके बाद उन्होंने देखा कि ब्रह्मा के बगल में दूसरी कन्या को बैठी हैं और वो ये देखके क्रोधित हो गईं। उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी।
बाद में इस श्राप के असर को कम करने के लिए उन्होंने यह वरदान भी दे दिया कि एक मात्र पुष्कर में उनकी पूजा या उपासना संभव होगी। भगवान विष्णु ने भी इस काम में ब्रह्मा जी का साथ दे दिया। इसलिए सरस्वती ने विष्णु जी को भी श्राप दिया था। इसी कारण वो राम के रूप में जन्म लिए थे और पत्नी वियोग के साथ वनवास का कष्ट काटना पड़ा था।
ब्रह्माजी मंदिर पुष्कर दो हजार साल पुराना
जानकार ये बताते हैं कि 14 वीं शताब्दी में निर्मित, ब्रह्मा मंदिर 2 हजार साल पुराना है। इस मंदिर की उत्पति को लेकर यही बातें कही जाती हैं। यह मंदिर सुबह 6.30 बजे से रात 8.30 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। ब्रह्मा मंदिर पुष्कर, अजमेर शहर से करीब 10 किमी दूर स्थित है।