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सीकर का वो कारगिल शहीद, गांव में होती है जिसकी पूजा, शहादत की कहानी सुनकर आज भी छलक जाते हैं आंसू- Kargil War Hero

Kargil War Hero: 60 दिन युद्ध चला... भारतीय जवान की शहादत-साहस ने 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तान सेना को खदेड़कर कारगिल में विजय (Kargil Vijay Diwas) का तिरंगा लहराया। इस दौरान सीकर के 7 जवान शहीद हुए उसमें से एक थे बनवारी लाल बगड़िया (Banwari Lal Bagaria)।

Ravi Kumar
Written by: Ravi Kumar - News Editor (Consultant)
4 Min Read

Kargil War Hero: 60 दिन युद्ध चला… भारतीय जवान की शहादत-साहस ने 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तान सेना को खदेड़कर कारगिल में विजय (Kargil Vijay Diwas) का तिरंगा लहराया। इस दौरान सीकर के 7 जवान शहीद हुए उसमें से एक थे बनवारी लाल बगड़िया (Banwari Lal Bagaria)

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बनवारी लाल बगड़िया सीकर जिला के रहने वाले थे।

जिनको पाकिस्तानी सैनिकों ने पकड़कर सलाखों से दागे, आंख-कान तक फोड़ दिए लेकिन बनवारी लाल ने दुश्मनों के सामने मुंह नहीं खोला। तब पाकिस्तान ने उनके शव को कई टुकड़ों में भारतीय सीमा पर लाकर फेंक दिया।

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Kargil War Hero Story In Hindi

शहीद बनवारी लाल बगड़िया का गांव

Kargil Vijay Diwas Story: कारगिल के शहीद बनवारी लाल बगड़िया सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील के नेछवा पंचायत समिति के छोटे से गांव सिंगडोला छोटा के निवासी थे। शहीद बनवारी लाल बगड़िया 6 भाई बहनों में चौथे नंबर के थे।

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शहीद बनवारी लाल बगड़िया ने सेना जॉइन किया था

बनवारी लाल बगड़िया ने 28 अप्रैल 1996 में भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट में ज्वाइन किया था। सेना में भर्ती के 3 साल बाद, 1999 में बनवारी लाल बगड़िया की पोस्टिंग काकसर में थी। तभी कारगिल की लड़ाई शुरू हुई, उस समय वह 15 मई 1999 को बजरंग पोस्ट पर कैप्टन सौरभ कालिया और अन्य चार साथियों के साथ सीमा पर पेट्रोलिंग करते थे।

शहीद बगड़िया को सबसे पहले मिली थी जानकारी

बताया जाता है कि पेट्रोलिंग के दौरान सीमा के नजदीक भेड़ बकरी चराने वाले लोगों ने उन्हें आकर कारगिल में घुसपैठ की जानकारी दी थी। जानकारी मिलते ही कैप्टन सौरभ कालिया, बनवारी लाल बगड़िया सहित पेट्रोलिंग कर रहे 6 जवान वहां पहुंचे और वहां छिपे बैठे पाकिस्तानी सैनिकों से भीड़ गए।

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इस दिन शहीद हुए थे बनवारी लाल बगड़िया

15 मई 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे बनवारी लाल बगड़िया। शहीद बनवारी लाल बागड़िया का पार्थिव शरीर 15 जुलाई को पैतृक गांव सिंगडोला छोटा पहुंचा था, जहां उनका सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था। बताया जाता है कि शहादत के आठ महीने पहले बनवारी लाल बगड़िया दादी की मौत पर अंतिम बार अपने गांव आए थे।

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शहीद से शादीशुदा जोड़े लेते हैं आशीर्वाद

शहीद बनवारी लाल बागड़िया को आज भी पूरा गांव पूजता है। गांव में शादी समारोह होने पर भगवान के बाद पहला निमंत्रण शहीद बनवारी लाल बगड़िया के स्मारक स्थल पर रखा जाता है। इतना ही नहीं शादी विवाह के बाद विवाहित जोड़े आशीर्वाद लेने आते हैं।

इनकी पत्नी आज भी उनके लिए व्रत करती हैं।

इस तरह बनवारी लाल बगड़िया लोगों के अमर हो चुके हैं। उनके शहादत और वीरता के किस्से सुनाए जाते हैं। साथ ही सीकर के तमाम शहीदों और कारगिल के वीरों को देश याद करता है।

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