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आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ था या मर्डर, राजस्थान के इस गैंगस्टर की कहानी एकदम फिल्मी है- Anand Pal Singh Encounter

Anand Pal Singh Encounter: एकदम हैंडसम, मस्कुलर बॉडी और सिंपल पर्सनैलिटी वाला आनंदपाल सिंह (Anand Pal Singh) बीएड के बाद शिक्षक बनने चला लेकिन बन बैठा राजस्थान का कुख्यात गैंगस्टर। जिसकी जिंदगी का चैप्टर एनकाउंटर के साथ खत्म हुआ।

Ravi Kumar
Written by: Ravi Kumar - News Editor (Consultant)
4 Min Read

Anand Pal Singh Encounter: देखने में हैंडसम, मस्कुलर बॉडी और सिंपल पर्सनैलिटी वाला आनंदपाल सिंह (Anand Pal Singh) बीएड के बाद शिक्षक बनने चला लेकिन बन बैठा राजस्थान का कुख्यात गैंगस्टर। जिसकी जिंदगी का चैप्टर एनकाउंटर के साथ खत्म हुआ।

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आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर करने वाले 7 पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलेगा।

Anand Pal Singh की ये कहानी सब जानते हैं। मगर क्या आप अमावस की रात आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर की कहानी जानते हैं? क्या आप आनंदपाल के गैंगस्टर बनने की पूरी कहानी जानना चाहेंगे?

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अगर हां, तो चलिए आनंदपाल सिंह की कहानी पढ़ते हैं-

बताया जाता है कि आनंदपाल सिंह बचपन से ही पढ़ने-लिखने में अव्वल रहा। ग्रेजुएशन के बाद उसने बीएड की ताकि शिक्षक की नौकरी कर पाए। यहां तक आनंदपाल एक आम आदमी की जिंदगी जी रहा था। किसीको भनक तक नहीं थी कि ये सिंपल दिखने वाला लड़का एक दिन खून की होली खेलने लगेगा।

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राजनीति में आते ही बदल गया आनंदपाल सिंह

मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र है कि साल 2000 में आनंदपाल सिंह पंचायत चुनाव के लिए उतरता है। मगर पंचायत चुनाव में उसे हार मिलती है। इस तरह से आनंद पाल की जिंदगी यहीं से यूटर्न लेती है।

बात 2006 की है, आनंदपाल ने अपने दोस्त जीवनराम गोदार की गोली मारकर हत्या कर दी।

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आनंदपाल शेखावटी का डॉन

जुर्म की राह पर निकले आनंदपाल को पता ही नहीं चल पाया कि कैसे एक हत्या से शुरू उसके जुर्म की दुनिया की कहानी 24 केस तक पहुंच गई। यानी कि आनंदपाल पर हत्या, मारपीट, लूटपाट, गैंगवार के 24 मामले दर्ज हो चुके थे। ये तेजी से गैंगस्टर बनकर छा गया।

एक पुलिस ने मीडिया को कहा था कि आनंदपाल शेखावटी का डॉन बन चुका था।

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पुलिस कस्टडी से फिल्मी स्टाइल में भगाया गया

3 सितम्बर 2015 को आनंदपाल को नागौर जिले के डीडवाना कोर्ट में पेशी पर ले जाया जा रहा था। मगर कोर्ट से लौटते वक्त आनंदपाल के छोटे भाई विक्की अपने साथियों के साथ हथियार से लैस होकर आते ही पुलिस गाड़ी पर गोलियों की बरसात करके आनंदपाल को भगा ले जाता है।

पुलिस के लिए एक तमाचे की तरह था और पुलिस की छवि पर धब्बा लगा था। फिर क्या एसओजी को तभी से दोनों भाइयों और उसके गैंग की तलाश शुरू कर दी थी।

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आनंदपाल का अमावस की रात एनकाउंटर या हत्या?

24 जून 2017 अमावस की रात आनंदपाल के लिए आखिरी रात बन गई। रात में करीब 10 बजे शेखावाटी के चूरू का मालासर गांव में एसओजी व पुलिस टीम पहुंचती है। एक मकान जिसमें आनंदपाल अपने साथियों के साथ रह रहा था, उस पर फायरिंग शुरू होती है।

चूरू का मालासर गांव गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज जाता है और लोग सहम जाते हैं।

जिस मकान में आनंदपाल था, वो श्रवण सिंह का मकान था। बताया जाता है कि आनंदपाल ने सरेंडर नहीं किया और पुलिस व एसओजी पर गोलियां बरसाता रहा। इसी मुठभेड़ में आनंदपाल मारा।

उस वक्त इसे एनकाउंटर कहा गया, पुलिस की खूब वाहवाही हुई।

मगर 25 जुलाई 2024 को खबर आती है कि आनंदपाल एनकाउंटर मामले में सीबीआई ACJM कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी है। साथ ही चूरू के तत्कालीन एसपी राहुल बारहठ सहित 7 पुलिसकर्मियों पर आनंदपाल की हत्या का केस चलाने का आदेश दिया है।

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