Aja Ekadashi 2025: भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह एकादशी 19 अगस्त, मंगलवार को है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ शिव जी और मंगल देव की पूजा का विशेष योग बन रहा है। शास्त्रों में इस एकादशी को पापनाशिनी तिथि कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन के पाप समाप्त होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी का महत्व स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में वर्णित है, जो भक्तों को जन्म और मरण के बंधनों से मुक्त करता है। आइए जानते हैं इस एकादशी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
शुभ मुहूर्त जानकारी (Shubh Muhurt Jankari)
तिथि शुरुआत – 18 अगस्त, रात 09:30 बजे
तिथि समाप्ति – 19 अगस्त, रात 11:15 बजे
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ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:30 बजे से 05:15 बजे तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:45 बजे से 03:30 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:45 बजे से 07:05 बजे तक
निशिता काल – रात 11:45 बजे से 12:30 बजे तक
क्यों खास है यह एकादशी?
अजा एकादशी का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि यह भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का दिन है। इस तिथि को पापनाशिनी कहा जाता है, जिससे व्यक्ति के जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन का व्रत और पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, जो जीवन के चक्र से मुक्ति दिलाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
पूजा विधि और उपाय
अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ शिव जी और मंगल देव की विशेष पूजा की जाती है। शिवलिंग पर जल, बिल्वपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, लाल फूल और लाल गुलाल चढ़ाना चाहिए। साथ ही, लाल मसूर की दाल का दान करना शुभ माना गया है। मंगल ग्रह के दोष को दूर करने के लिए “ऊँ भों भौमाय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा भी विशेष फलदायी होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
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