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Jyeshtha Purnima 2024: इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024 पर जरूर करें ये काम, जानें दान-स्नान-मुहूर्त और महत्व

Jyeshtha Purnima 2024, ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा भी कहा जाता है। वट पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी और सत्यनारायण भगवान और देवी सावित्री की पूजा करने का विधि-विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार 1 साल में 12 पूर्णिमा होती है। ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा पर विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।

Bharti Sharma
Written by: Bharti Sharma - Sub Editor
3 Min Read

Jyeshtha Purnima 2024, ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा भी कहा जाता है। वट पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी और सत्यनारायण भगवान और देवी सावित्री की पूजा करने का विधि-विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार 1 साल में 12 पूर्णिमा होती है। ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा पर विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।

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ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए (Jyeshtha Purnima Per Kya Karen)

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। इस पूर्णिमा को वट पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती है।

वट पूर्णिमा 2024 में कब है, जानिए इसकी सही तारीख-

वट पूर्णिमा 21 जून 2024 शुक्रवार को है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की कुशलता एवं दीर्घायु के लिए वट पूर्णिमा व्रत का पालन करती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गंगा जी में स्नान और दान करने की परंपरा बहुत अधिक महत्व रखती है। वट पूर्णिमा 2024 मुहूर्त पंचांग के अनुसार अगर मानें तो ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 21 जून 2024 को सुबह 7:31 पर होगी और इसका समापन 22 जून 2024 को सुबह 6:37 पर होगा।

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ज्येष्ठ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2024 (Jyeshtha Purnima Shubh Muhurat 2024)

स्नान-दान – सुबह 7:31 के बाद ।
पूजा मुहूर्त सुबह – 7:31 से लेकर सुबह 7:38 तक।
चंद्रोदय – रात 7 बजकर 04 मिनट।

ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व (Jyeshtha Purnima Importance)
वट पूर्णिमा व्रत का महत्व- वट पूर्णिमा पर किए गए दान-पुण्य और नदी में स्नान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी ही पूरी हो जाती है। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण कथा पढ़ने और सुनने की परंपरा भी है। पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी और देवी सावित्री का प्रभाव रहता है।

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ज्येष्ठ पूर्णिमा की पूजा विधि (Jyeshtha Purnima Puja Vidhi)

भगवान विष्णु का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। दूध में केसर मिलाकर फिर भगवान का अभिषेक करें। दूध के बाद जल से अभिषेक करें। इसके बाद पीले चमकीले वस्त्र भगवान को अर्पित करें। फूलों से प्रभु का श्रृंगार करें। मिठाई का भोग लगाएं और धूप दीप जलाएं। इसके बाद आप ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए आरती करें और पूजा के बाद प्रसाद को बांटे और खुद भी ग्रहण करें।

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Edited By- Ravi Kumar Gupta 

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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।
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