Shani Pradosh-प्रदोष व्रत हर महीने आता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है। इस बार यह व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है जिस कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। यह संयोग काफी शुभ माना जाता है क्योंकि शनि देव भगवान शिव के प्रिय भक्त थे। अगर आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं या फिर शनि दोष से पीड़ित हैं तो आप को यह व्रत जरूर करना चाहिए और शनि देव की भी इस दिन विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से शनि देव खुश होते हैं और आप के दुखों से आप को मुक्त करने में मदद करेंगे। इस दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कब का है शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh) और पूजा करने का सही तरीका।
कब है शनि प्रदोष व्रत?
इस महीने में 6 अप्रैल को शनि प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। अगर आप शनि दोष से पीड़ित हैं तो आप को यह व्रत जरूर करना चाहिए क्योंकि यह व्रत काफी अच्छा संयोजन है। भगवान शिव की कृपा के साथ साथ आप पर शनि देव की भी कृपा बनी रहेगी। आइए अब जान लेते हैं व्रत में पूजा विधि को।
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पूजा विधि (Shani Pradosh)
आपको सुबह जल्दी उठ कर स्नान करके खुद को पहले पवित्र कर लेना चाहिए। सबसे पहले अपने पूजा घर को साफ करें। इसके बाद आप को एक आसन पर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। आप को पंचामृत और गंगाजल से इन्हें स्नान कराना है। सफेद चंदन और कुमकुम का तिलक लगा दें और इसके बाद देसी घी का दिया जला लें। इसके बाद फल, मिठाई और खीर का भोग लगाएं। फिर शिव चालीसा और शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करें। आखिर में आरती गा कर पूजा को समाप्त करें। शाम के समय ही इस व्रत में पूजा की जाती है। पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाएं और भगवान शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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