Bhagwan Ram – यह जानने से पहले की श्री राम ने शिवजी का धनुष बीच से क्यों तोड़ा था, हमें यह जान लेना होगा की श्री राम ने इस धनुष को तोड़ा ही क्यों था? राजा जनक अपनी बेटी सीता का हाथ सही व्यक्ति के हाथों में देना चाहते थे और इसके लिए इन्होंने सीता जी के लिए स्वयंवर रचा। इस में जिस भी व्यक्ति ने शिवजी के धनुष को उठाया उसी से सीता माता की शादी तय हो जाने वाली थी। बहुत दूर दूर से राजकुमार और बड़े बड़े लोगों ने इस स्वयंवर में आए थे और माता सीता को अपनी पत्नी बनाना चाहते थे लेकिन दुर्भाग्यवश किसी से भी यह धनुष हिला तक नहीं।
जब राजा जनक ने ऐसा देखा तो वह काफी उदास और गुस्से में भर गए। बहुत सारे राजाओं ने खुद को महान साबित करने की कोशिश की लेकिन कोई सफल नहीं हो पाया। यह धनुष कोई आम धनुष नहीं था बल्कि इसका नाम पिनाका था। जिस भी व्यक्ति में धर्म की रक्षा करने और सही रास्ते पर चलने का साहस था उसी के हाथों से यह उठ सकता था।
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जब राजा जनक सभी से निराश थे तो लक्ष्मण जी ने राम जी को कहा की आपको इसे उठाना चाहिए। श्री राम जब स्वयंवर में आए तो उन्होंने खुद को शक्तिशाली आदि कुछ नहीं बताया। सभी को श्री राम के साहस पर पहले ही संदेह हो रहा था। सीता माता ने धनुष से यह भी प्रार्थना की की धनुष का भार थोड़ा सा कम हो जाए ताकि श्री राम उसे आसानी से उठा सकें। लेकिन कुछ ही समय में श्री राम ने धनुष को आसानी से उठा लिया और जैसे ही वह उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश कर रहे थे धनुष बीच से टूट गया। वह धनुष को तोड़ने का प्रयास नहीं कर रहे थे बल्कि उनके बल की वजह से धनुष अपने आप ही टूट गया। दोनों साइड से धनुष तोड़ना बहुत आसान था , इसलिए श्री राम ने इसे बीच से तोड़ा था ताकि किसी व्यक्ति को संदेह न रह सके।
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