Bhootdi Amavasya-इस साल पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को है। इस दिन बेहद शुभ संयोग बन रहा है। यह 52 सालों बाद का संयोग है। हिंदू नव वर्ष के अनुसार इस दिन साल की आखरी अमावस्या भी है। यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जा रहा है। भगवान शिव और पार्वती मां की इस दिन पूजा होती है और सुहागनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी करती हैं। ऐसा माना जाता है की भगवान शिव के दिन सोमवार को अमावस्या पड़ने की वजह से इसे भूतडी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन आप चाहें तो अपने पितृ, प्रेत और कालसर्प दोष से भी मुक्ति पा सकते हैं। आइए जान लेते हैं कैसे।
Somvati amavasya-सोमवती अमावस्या पर इस तरह करें नाराज़ पितरों को खुश
कालसर्प दोष को इस तरह से करें शांत (Bhootdi Amavasya)
कालसर्प की मुक्ति के लिए राहु का सवा लाख बार जप करवाया जाता है। उसके बाद भगवान शिव का रुद्राभिषेक होता है। उनको सवा किलो काले तिल और साथ में नाग नागिन का जोड़ा अर्पित किया जाता है। इसके बाद केतु का सवा लाख जप, दशांश हवन करवाया जाता है। इसके बाद भगवान शिव का रुद्राभिषेक करवाया जाता है और उन्हें सवा किलो अश्वगंधा भी अर्पित किया जाता है। फिर उन्हें सांपो का जोड़ा चढ़ाया जाता है।
पितृ दोष को ऐसे करें शांत
अगर आप को पितृ दोष है और आपका कोई पूर्वज आपको संकेत दे रहा है या कोई परेशानी हो रही है तो आप को नारायण बलि जरूर देनी चाहिए। इस स्थिति में भगवान विष्णु की पूजा करना, गरुण पुराण का अनुष्ठान करवाना बेहद ही शुभ माना जाता है। ऐसे में आप का पितृ दोष काफी हद तक शांत हो जाता है।
इस अमावस्या पर गंगा स्नान करना भी बेहद लाभदायक और शुभ माना जाता है। किसी अन्य पवित्र नदी में भी आप स्नान कर सकते हैं।