Standardized Billing Format for Hospitals: अब अस्पतालों में इलाज कराना होगा पहले से ज्यादा पारदर्शी। केंद्र सरकार एक नया बिलिंग सिस्टम लागू करने जा रही है, जिसके तहत अस्पतालों, नर्सिंग होम और डायग्नोस्टिक सेंटर्स को हर खर्च का पूरा हिसाब देना अनिवार्य होगा। इससे मरीजों को यह जानने में आसानी होगी कि उनका पैसा कहां खर्च हुआ और कितनी राशि किस सेवा पर लगी।
अब मरीज को मिलेगा पूरा खर्चा समझने का हक
अब तक कई बार मरीजों को अस्पताल से मिलने वाले बिल में केवल एक कुल राशि (Total Amount) दिखाई जाती थी, जिसमें हर खर्च की अलग-अलग जानकारी नहीं दी जाती थी। इससे न केवल भ्रम की स्थिति बनती थी, बल्कि कई बार मरीजों को अनावश्यक चार्ज भी भुगतने पड़ते थे।
लेकिन नए बिल फॉर्मेट में हर चीज का स्पष्ट विवरण अनिवार्य होगा—जैसे कि डॉक्टर की फीस, कमरे का किराया, सर्जरी या ऑपरेशन थिएटर चार्ज, दवाइयों की कीमत, मेडिकल कंज्यूमेबल्स (जैसे सिरिंज, ग्लव्स आदि)। इसके साथ ही दवाओं का बैच नंबर और एक्सपायरी डेट भी बिल में शामिल होगा।
BIS ने तैयार किया ड्राफ्ट, अंतिम मंजूरी बाकी
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने इस नए बिलिंग फॉर्मेट का ड्राफ्ट पिछले साल ही तैयार कर लिया था। अब इसे अंतिम मंजूरी मिलने वाली है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो अगले 3 से 6 महीनों में यह सिस्टम पूरे देश में लागू किया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि यह सिस्टम स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक पारदर्शी बनाएगा और मरीजों के अधिकारों को मजबूत करेगा।
आसान भाषा, लोकल टच और डिजिटल एक्सेस
बिलिंग फॉर्मेट को आम लोगों के लिए आसान बनाया जाएगा। इसमें तकनीकी शब्दों की बजाय सरल भाषा का इस्तेमाल होगा। हर अस्पताल को यह बिल अंग्रेज़ी के साथ-साथ स्थानीय भाषा में भी देना होगा। मरीज चाहें तो इसका डिजिटल या प्रिंटेड वर्जन ले सकेंगे।
बिल का फॉन्ट साइज भी बड़ा होगा ताकि पढ़ने में आसानी हो और हर जानकारी साफ दिखाई दे।
बिल में कौन-कौन सी जानकारी होगी ज़रूरी?
सरकार के नए नियमों के तहत, अस्पतालों को मरीजों के बिल में निम्नलिखित जानकारियाँ देना ज़रूरी होगा:
- रूम रेंट (प्रति दिन की दर सहित)
- डॉक्टर की फीस (कंसल्टेशन और विज़िट के आधार पर)
- सर्जरी या ऑपरेशन का शुल्क
- दवाइयों की सूची और उनकी कीमत
- मेडिकल कंज्यूमेबल्स जैसे सिरिंज, ग्लव्स, सर्जिकल टेप आदि
- दवाओं का बैच नंबर और एक्सपायरी डेट
कुछ जानकारियाँ जैसे—डॉक्टर्स के नाम, इमरजेंसी कॉन्टैक्ट डिटेल्स और किसी छूट (डिस्काउंट) की जानकारी—ऑप्शनल हो सकती हैं।
अब क्यों लाया जा रहा है यह बदलाव?
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अभी तक कई अस्पतालों की बिलिंग में पारदर्शिता की कमी पाई जाती थी। मरीजों को स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती थी कि किस सेवा का कितना शुल्क है। कई बार विवाद भी इसीलिए होते थे।
LocalCircles के एक सर्वे में पाया गया कि ज्यादातर मरीजों को उनके इलाज के बिल में पूरी डिटेल नहीं मिलती। वहीं, पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से पूछा था कि निजी अस्पतालों के बिल में कीमतों की स्पष्टता क्यों नहीं होती।
इस नए सिस्टम से मरीजों को बेहतर अनुभव मिलेगा, और अस्पतालों को जवाबदेह बनाना संभव होगा।
मरीजों को होंगे ये 5 बड़े फायदे:
- इलाज का पूरा खर्च समझ में आएगा
- अस्पताल अनावश्यक चार्ज नहीं जोड़ पाएंगे
- बिलिंग से जुड़ी शिकायतें घटेंगी
- पारदर्शिता बढ़ेगी, भरोसा मजबूत होगा
- मरीज अपनी पसंद से सही अस्पताल या डॉक्टर चुन सकेंगे
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. राजीव सेठ का कहना है, “यह कदम मरीजों के अधिकारों को मज़बूत करता है। पर यह तभी सफल होगा जब इसकी निगरानी ठीक से की जाए और सभी अस्पताल इसका पालन करें।”
सरकार की कोशिश है कि इलाज के हर पहलू में पारदर्शिता आए और मरीज को उसकी हर एक रुपया की जानकारी मिले।
Want a Website like this?
Designed & Optimized by Naveen Parmuwal
Journalist | SEO | WordPress Expert