Winter Solstice 2024: आज 21 दिसंबर को ब्रह्मांड में एक अद्भुत खगोलीय घटना घटेगी, जब वर्ष का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात अनुभव की जाएगी। इस दिन का महत्व पंचांग और खगोलीय दृष्टिकोण से अत्यधिक है।
सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात का कारण
शनिवार, 21 दिसंबर को दिन मात्र 10 घंटे 19 मिनट का होगा, जबकि रात की अवधि 13 घंटे 41 मिनट होगी। दिन और रात के बीच 3 घंटे 22 मिनट का बड़ा अंतर देखने को मिलेगा। खगोलशास्त्र के अनुसार, यह घटना सूर्य देव के दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश के कारण होती है।
पंडित दिनेश मिश्रा बताते हैं कि पंचांग गणना के अनुसार, यह दिन खगोलीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। सूर्य मकर रेखा पर लंबवत होगा, जिससे पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव से सूर्य की दूरी अधिकतम और दक्षिणी ध्रुव से न्यूनतम हो जाएगी। इसी के साथ सायन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, जबकि निरयन सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
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ऐसा क्यों होता है?
पृथ्वी अपने अक्ष पर करीब 23.5 डिग्री झुकी हुई है। इस झुकाव के कारण विभिन्न ऋतुओं का निर्माण होता है। 21 दिसंबर को पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य से सबसे अधिक दूरी पर होता है, और दक्षिणी ध्रुव सूर्य के सबसे करीब। इस दिन सूर्य जल्दी अस्त हो जाता है, जिससे दिन छोटा और रात लंबी हो जाती है।
चार विशेष दिन और उनका महत्व
- साल में 365 दिन होते हैं, लेकिन इनमें से चार दिन खगोलीय दृष्टि से अद्वितीय होते हैं:
- 21 मार्च और 23 सितंबर: जब दिन और रात बराबर होते हैं।
- 21 जून: सबसे लंबा दिन।
- 21 दिसंबर: सबसे लंबी रात।
शिशिर ऋतु की शुरुआत
21 दिसंबर के बाद से दिन धीरे-धीरे बड़े और रातें छोटी होने लगेंगी। यह दिन शिशिर ऋतु की शुरुआत को भी दर्शाता है। इस समय सर्दी अपने चरम पर होगी और कई क्षेत्रों में शीतलहर का प्रकोप रहेगा। हालांकि, यह ठंड फसलों के लिए अत्यधिक लाभकारी है।
खगोलीय घटना का महत्त्व
यह घटना हमें ब्रह्मांड की अद्भुत रचना और उसके चक्र को समझने का अवसर देती है। पृथ्वी का यह झुकाव न केवल ऋतुओं का निर्माण करता है, बल्कि दिन-रात के संतुलन को भी प्रभावित करता है। इस अद्भुत घटना को देखकर हमें प्रकृति के प्रति और अधिक सम्मान का भाव जागृत करना चाहिए।