Homeopathy day 2025: 10 अप्रैल को होम्योपैथिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर सीकर के प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अमित माथुर ने बांझपन (इनफर्टिलिटी) के इलाज में होम्योपैथी की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी न सिर्फ लक्षणों को दूर करती है, बल्कि बीमारी की जड़ तक जाकर समस्या का समाधान करती है। यह पद्धति रोगी के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संतुलित करने पर केंद्रित होती है।
बांझपन के मामले में होम्योपैथिक उपचार की सफलता दर लगभग 60-70% है। डॉ. माथुर के अनुसार, इस पद्धति में हर मरीज का अलग से विस्तृत केस स्टडी किया जाता है, जिसमें उसकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री, जीवनशैली और मानसिक स्थिति को समझा जाता है। इसके बाद व्यक्ति विशेष के लिए अलग दवा और डोज तय की जाती है।
होम्योपैथी बांझपन के विभिन्न कारणों जैसे हार्मोनल असंतुलन, पीसीओएस, अनियमित मासिक धर्म, कम स्पर्म काउंट या तनाव आदि का प्रभावी ढंग से इलाज करती है। डॉ. माथुर ने अपने 15 साल के अनुभव में कई ऐसे मामले देखे हैं, जहां पारंपरिक इलाज से निराश दंपत्ति को होम्योपैथी से सफलता मिली।
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हालांकि, डॉ. माथुर का कहना है कि होम्योपैथिक इलाज में समय लगता है और मरीज को धैर्य रखने की आवश्यकता होती है। उन्होंने युवा दंपत्तियों से अपील की है कि वे बांझपन जैसी समस्या को छुपाएं नहीं और समय रहते किसी विशेषज्ञ से सलाह लें। होम्योपैथिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर डॉ. माथुर का संदेश है – “प्रकृति में हर समस्या का समाधान मौजूद है, बस जरूरत है तो सही दिशा में प्रयास करने की।”