Ghevar History: राजस्थान में घेवर (Ghevar Sweet) का तेवर मानसून में बढ़ जाता है। रक्षाबंधन व तीज में इसकी डिमांड इतनी की मिठाई की दुकानें तरह-तरह के घेवर से सजी दिखती हैं।
मगर इस घेवर मिठाई का इतिहास (Ghevar History In Hindi) जानते हो आप?
राजस्थान को रंगीला बनाने में यहां की मिठाईयों का योगदान भी बहुत है। उसमें से एक नाम घेवर का है जिसको बरसात के मौसम में खूब खाया जाता है। राजस्थान में घेवर को घर मिला लेकिन ये मिठाई असल में कहां की है?
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क्या घेवर असल में राजस्थान का है?
घेवर मिठाई का इतिहास क्या कहता है (Ghevar History In Hindi)
घेवर मिठाई की तरह ही खोखला दिखता है इसका इतिहास। ऐसा इसलिए क्योंकि, अभी तक इसको लेकर ठोस प्रमाण सामने नहीं आए हैं। हां, कहने को तो ये राजस्थान की मिठाई है मगर प्रमाण के साथ ये बात नहीं कही जा सकती है। घेवर मिठाई को लेकर भी जो बातें कही जाती हैं उसके आधार पर भी इसे राजस्थान का कहना मुश्किल है।
घेवर को राजस्थान और ब्रज क्षेत्रों की प्रमुख पारंपरिक मिठाई है।
कई जानकार ये भी कहते हैं (मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार) कि घेवर भारत में पर्शिया से आया था, लेकिन इसकी भी कोई कंफर्म जानकारी नहीं है। वहीं, राजस्थान के कुछ मिठाई वाले इसे ईरान की एक मिठाई से प्रेरित व्यंजन बताते हैं। साथ ही कुछ लोगों का कहना है कि ये उत्तर प्रदेश की मिठाई है।
इसलिए घेवर मिठाई का अता-पता नहीं है।
राजस्थान के पर्व-त्योहार में घेवर का महत्व (Importance Of Ghevar Sweet)
राजस्थान के खास पर्व-त्योहार जैसे तीज और रक्षाबंधन में इसका खास महत्व है। कहा जाता है कि इस मिठाई के बगैर यहां के पर्व-त्योहार अधूरे माने जाते हैं। इतना ही नहीं इस मिठाई के बगैर महिलाएं अपने मायके नहीं जाती हैं। शादी-विवाह में भी इस मिठाई का महत्व देखने को मिलता है।
घेवर मिठाई के फायदे (Ghevar Health Benefits)
वैसे घेवर मिठाई का स्वाद व फायदे को लेकर इसको खाना सही साबित हो सकता है। इसे इम्युनिटी बूस्टर कहा जाता है। अगर इसे सही तरीके से बनाया गया है और गुणवत्ता का ध्यान रखा गया है तो इसे बरसात में खाने से आपको फायदे मिल सकते हैं। चूंकि, पारंपरिक तरीके से तैयार घेवर बरसात में फफूंद या संक्रमण ना लगने की वजह से खराब नहीं होती है।
आजकल कई प्रकार के घेवर बाजार में बिक रहे हैं। आप इस मिठाई को लेकर क्या कहना चाहेंगे, हमें कमेंट में जरूर बताएं।