Homoeopathy Day 2025: होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के संस्थापक डॉ. सैमुअल हैनेमैन की जयंती (Dr. Samuel Hahnemann’s Birth Anniversary) के उपलक्ष्य में 9 अप्रैल, बुधवार को शहर में एक भव्य समारोह का आयोजन होगा। राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सा विभाग और होम्योपैथिक चिकित्सा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में तापड़िया बागीची स्थित होटल राइसिना हिल में यह कार्यक्रम होगा, जिसकी शुरुआत दोपहर 2 बजे से होगी और देर शाम 8 बजे तक विभिन्न आयोजन होंगे।
इस अवसर पर जिले के सभी सरकारी और प्राइवेट होम्योपैथिक डॉक्टर्स, नर्स और कंपाउंडर अपने परिवार के साथ शामिल होंगे। आयोजकों के मुताबिक, इस सम्मेलन में लगभग 100 प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद है। कार्यक्रम में नवनियुक्त नर्सों और कंपाउंडर्स को सम्मानित करने की एक विशेष रस्म भी रखी गई है, जिसमें उनकी सेवाओं को सराहा जाएगा।
कार्यक्रम में डिनर के साथ-साथ रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन होम्योपैथी के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए एक-दूसरे के अनुभव साझा करने, नेटवर्किंग करने और इस चिकित्सा पद्धति के विकास पर चर्चा करने का एक उत्कृष्ट मंच साबित होगा। साथ ही यह समारोह डॉ. हैनेमैन के अमूल्य योगदान को याद करने का एक सार्थक अवसर भी प्रदान करेगा।
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कौन थे डॉ. सैमुअल हैनेमैन? (Who was Dr. Samuel Hahnemann?)
डॉ. सैमुअल हैनेमैन (1755-1843) एक जर्मन चिकित्सक और वैज्ञानिक थे, जिन्हें होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का जनक माना जाता है। उन्होंने “सम: समम् शमयति” (Like Cures Like) के सिद्धांत पर आधारित इस वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली की नींव रखी, जिसमें रोग के लक्षणों को दूर करने के लिए छोटी मात्रा में ऐसी दवाएं दी जाती हैं, जो स्वस्थ व्यक्ति में वैसे ही लक्षण पैदा कर सकती हैं।
प्रमुख योगदान और सिद्धांत
- होम्योपैथी की स्थापना: 1796 में उन्होंने अपने शोध के आधार पर होम्योपैथी का सिद्धांत प्रस्तुत किया।
- “ऑर्गेनन ऑफ मेडिसिन”: उनकी प्रसिद्ध पुस्तक, जो होम्योपैथी का मूल ग्रंथ मानी जाती है।
- दवाओं का प्रयोग: उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा के हानिकारक तरीकों (जैसे रक्तमोक्षण) के विरोध में कोमल और प्राकृतिक उपचार पर जोर दिया।
- डायनामाइजेशन (Potentization): दवाओं को पतला करके उनकी शक्ति बढ़ाने की विधि विकसित की।
विरासत और प्रभाव
डॉ. हैनेमैन के सिद्धांतों ने दुनिया भर में होम्योपैथी को लोकप्रिय बनाया। आज भी उनकी जयंती (10 अप्रैल) को “विश्व होम्योपैथी दिवस” के रूप में मनाया जाता है। भारत सहित कई देशों में उनके सम्मान में चिकित्सा सम्मेलन, सेमिनार और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
उनके बनाए होम्योपैथी इलाज का तरीका आज पूरी दुनिया में एक मशहूर दूसरा इलाज का तरीका है।