Sikar Sambhag News: राजस्थान भजनलाल सरकार के एक अहम फैसले ने शेखावाटी में सियासी हलचल मचा दी है। राज्य सरकार ने सीकर संभाग और नीमकाथाना जिले के फैसले को करीब पौने दो साल बाद वापस ले लिया। पहले गहलोत सरकार के दौरान सीकर को संभाग का दर्जा दिया गया था और नीमकाथाना को नया जिला बनाया गया था। लेकिन सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ने नए जिलों और संभागों की समीक्षा करना शुरू कर दिया था, और अब सीकर संभाग और नीमकाथाना जिले को रद्द कर दिया गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आक्रोश
इस फैसले से सीकर और नीमकाथाना क्षेत्र में निराशा और आक्रोश का माहौल है। सीकर को संभाग नहीं बनाए जाने से शेखावाटी क्षेत्र में भी गहरा आक्रोश है। कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इस फैसले पर विरोध जताया है। कांग्रेस, माकपा और अभिभाषक संघ जैसे संगठनों ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। इन संगठनों का कहना है कि सरकार ने सीकर संभाग को रद्द करके आम जनता के साथ अन्याय किया है और इसे एक गलत राजनीतिक कदम बताया है।
सीकर से क्यों छीना गया संभाग?
विधानसभा और लोकसभा चुनावों का असर
यह भी जरूर पढ़ें...
New Rules 1 June 2025: ‘ATM, Credit Card से लेकर LPG तक’, आज से बदल गए ये 8 नियम, आप भी नोट कर लीजिए
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीकर संभाग और नीमकाथाना जिले को रद्द करने का एक कारण आगामी चुनावों का असर भी हो सकता है। लोकसभा चुनावों में शेखावाटी क्षेत्र में भाजपा को तीनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था, जबकि कांग्रेस ने सीकर, चूरू, और झुंझुनू में जीत हासिल की थी। इसके साथ ही, विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को इन जिलों से उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिल सकी थीं। कांग्रेस ने सीकर को संभाग का दर्जा देकर एक बड़ा सियासी कदम उठाया था, जिसे भाजपा ने अब पलटते हुए सीकर संभाग को रद्द कर दिया है।
भाजपा का तर्क: वित्तीय और राजनीतिक दृष्टिकोण
भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार ने यह निर्णय राजस्थान के आर्थिक संसाधनों को ध्यान में रखते हुए लिया है। उनके अनुसार, नए जिलों और संभागों का गठन सरकार पर भारी वित्तीय बोझ डालता है। यही वजह है कि सरकार ने सीकर संभाग और नीमकाथाना जिले का दर्जा वापस लिया है। इसके अलावा, भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि सरकार का यह कदम राज्य के समग्र विकास के लिए जरूरी था।
विरोध पड़ा भारी!
राज्य सरकार का कहना है कि नए संभागों और जिलों के गठन से सरकारी खजाने पर भारी दबाव था, और इसलिए उन्होंने इस फैसले को लिया है। वित्तीय संसाधनों का ध्यान रखते हुए सरकार ने पुराने प्रशासनिक ढांचे को बहाल किया है। इसके अलावा, नीमकाथाना जिले को सीकर में शामिल करने के बाद खेतड़ी क्षेत्र में भी विरोध के स्वर गूंजने लगे हैं। सीकर संभाग को समाप्त करने पर झुंझुनू और चूरू के कुछ इलाकों में भी विरोध किया गया है, और इसे सरकार के निर्णय के खिलाफ एक महत्वपूर्ण हथियार बनाया गया है।
अब पुरानी व्यवस्था होगी लागू
भाजपा सरकार के फैसले के बाद अब पुरानी व्यवस्था फिर से लागू होगी। जिसके तहत सीकर और झुंझुनू फिर से जयपुर संभाग में, नीमकाथाना सीकर जिले में और चूरू बीकानेर संभाग में शामिल होगा। राजनीतिक विरोध और विरोध प्रदर्शनों के बीच यह देखा जाना बाकी है कि सरकार के इस फैसले पर भविष्य में क्या असर पड़ता है और क्या विपक्ष इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन खड़ा कर पाएगा।