Shivling-शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है। किसी भी शिव मंदिर जायेंगे तो शिवलिंग (Shivling) को जरूर पाएंगे। ऐसा माना जाता है की शिवलिंग पर चढ़ाई गई कोई भी चीज सीधे भगवान शिव तक पहुंचती है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए हैं। शिव पुराण के मुताबिक ब्रम्हा जी और विष्णु जी ने भगवान शिव से पूजा योग्य लिंग रूप में प्रकट होने का आग्रह किया। ऐसा होने के बाद सबसे पहले ब्रम्हा और विष्णु जी ने शिवलिंग की पूजा की और इनके बाद अन्य देवी देवताओं ने। आइए जानते हैं कैसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति?
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कैसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति?
ऐसा माना जाता है की संसार की रचना होने के बाद भगवान विष्णु और ब्रम्हा जी में युद्ध हुआ था। दोनों ही अपने आप को सर्व शक्तिशाली साबित करने में लगे हुए थे। फिर आकाश में एक चमकीला पत्थर दिखा और यह भविष्यवाणी हुई की जो भी अंत में इस पत्थर को ढूंढ लेगा, वही सबसे अधिक शक्तिशाली होगा। वह पत्थर शिवलिंग ही था।
भगवान शिव को संसार की उत्पत्ति का कारण माना गया है और इसलिए ही इन्हें पर ब्रह्म कहा जाता है। शिवलिंग (Shivling) का मतलब है जिसकी न तो कोई शुरुआत है और न ही कोई अंत। शिवलिंग को पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक माना गया है। स्कंद पुराण में कहा गया है की आकाश स्वयं लिंग है, धरती उसकी पीठ या फिर आधार है, और सब अनंत शून्य में पैदा हो उसी लय में होने के कारण इसे शिवलिंग (Shivling) कहा गया है। तो यह थी शिवलिंग की उत्पत्ति के पीछे की कहानी जो काफी रोचक है। यह कहानियां हिंदू धर्म के सभी लोगों को पता होना चाहिए ताकि धर्म से जुड़ा उनका ज्ञान और अधिक बढ़ सके। अब अगर आप कभी शिव मंदिर जाते हैं तो शिवलिंग (Shivling) को देखने के बाद आप को इसकी उत्पत्ति का असली कारण और इसके पीछे की कथा का पता होगा।