Havan Ahuti -हवन किसी भी काम को शुरू करने से पहले करवाया जाने वाला एक यज्ञ होता है। ऐसा माना जाता है की हवन करवाने से वातावरण शुद्ध हो जाता है और आपका काम शुभ जाता है। किसी भी नई जगह में प्रवेश करते समय या कोई शुभ काम होने से पहले हवन करवाया जाता है। हवन में आहूति डालने के समय स्वाहा कहा जाता है जो बार बार बोला जाता है। लेकिन इस स्वाहा का मतलब क्या होता है और हवन में आहूति देते समय केवल स्वाहा ही क्यों बोला जाता है। आइए जान लेते हैं इसके कारण के बारे में।
Havan Significance : हिन्दू धर्म में क्या है हवन का महत्व?
ये है कारण (Causes)
स्वाहा शब्द का प्रयोग होने के पीछे कई सारी कहानियां हैं। एक कहानी के अनुसार एक बार देवी देवताओं को खाने पीने की चीजों में कमी महसूस होने लगी। जब इस कठिन स्थिति का समाधान निकालने के लिए ब्रह्मा जी के पास बात गई तो उन्होंने सोचा की क्यों न धरती पर खाने पीने की चीजों को पहुंचाने के लिए ब्राह्मणों का प्रयोग किया जाए। इस काम के लिए इन्होंने अग्नि देव को चुना। इस समय अग्नि देव के पास भस्म करने की शक्ति नहीं थी इसलिए स्वाहा शब्द का प्रयोग किया गया। स्वाहा को यह कहा गया की वह अग्नि देव के साथ ही रहें। जब अग्नि देव के पास कोई चीज होती थी तो स्वाहा ही उसे भस्म करके देवी देवताओं तक पहुंचाने का काम करती थी। तब के बाद से ऐसा माना जाता है की स्वाहा सदैव अग्नि देव के साथ ही रहते हैं।
हवन बहुत सारे कामों से पहले किया जाता है। इससे कई सारे लाभ भी मिलते हैं जैसे आप के आस पास की ऊर्जा सकारात्मक हो जाती है और आप के घर के लड़ाई झगडे और कलेश खत्म होने शुरू हो जाते है । हवन की राख को लाल कपड़े में लपेट कर तिजोरी में रख देना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।